कोरोना: विज्ञान, टोटका और राजनीति का मिश्रित वायरस

हमारे देश की केन्द्र सरकार और रज्य सरकारों ने जिस प्रकार प्रकृति का मनमाना देाहन किया है और रहन-सहन एवं खान-पान के साधनों में बदलाव लाया है, उससे न केवल देश की परिस्थितिकी और पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है, बल्कि मानव के स्वास्थ्य पर भी काफी बुरा असर पड़ा है।

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तसलीमा नसरीन हिंदुत्व का काम कैसे आसान कर देती हैं?

यह बयान अल्पसंख्यकों के खिलाफ जल रही आग में घी डालने का काम तो नहीं करेगा और जाने अनजाने हिंदुत्व के लिए मददगार साबित हो जायेगा?

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प्लेग और क्वारनटीनः राजिंदर सिंह बेदी का अफ़साना

हिमालय के पांव में लेटे हुए मैदानों पर फैल कर हर चीज को धुंधला बना देने वाले कोहरे की तरह प्लेग के खौफ ने चारों तरफ अपना तसल्लुत जमा लिया …

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कोरोना संक्रमण का आर्थिक पहलू

देश के मजदूर और किसान इस दौर में जिस संकट से गुजर रहे हैं वह त्रासद है। लालची मध्यवर्ग ने उन्हें जिस तरीके से कोरोना वायरस संक्रमण के नाम पर शहर से बाहर जाने को मजबूर कर दिया उससे भी यह आशंका है कि वे पूरी तरह शहर नहीं लौट पाएं मतलब शहरी उद्योग धन्धों में 50 से 60 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।

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तब्लीगी जमात से सिर पर ठीकरा फोड़ने की कवायद

संयुक्त राष्ट्र संघ ने कोरोना संकट के दौरान धर्म या नस्ल के आधार पर व्यक्तियों या समूहों को निशाना बनाने के खिलाफ चेतावनी दी है

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वायरस बनाम इंसानियत की जंग में चिकित्सा पद्धतियों के प्रति पूर्वाग्रह सबसे बड़ा दुश्मन है!

कोरोना वायरस महामारी के वैश्विक संकट के दौर में होमियोपैथी को याद करना न केवल प्रासंगिक है बल्कि यह आज के दौर की एक महत्वपूर्ण ज़रूरत भी है। चिकित्सा विज्ञान …

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कोरोना, पूंजीवाद और सभ्यता: इस दौर के बाद पूछे जाने वाले कुछ सवाल

आखिर किस पर दोष मढ़ा जाय? कुछ वक्त तक तो निशाने पर चीन रहा, जब तक कि हिंदुस्तानियों का सबसे पसंदीदा शिकार परदे पर नमूदार नहीं हो गया- आप जानते …

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कोरोना वायरस से क्यों कांप रही है दुनिया?

कोरोना वायरस का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। दुनिया का कोना-कोना अब कोरोना से वाकिफ़ है। वैश्वीकरण यहाँ साफ तौर पर साकार दिखता है। बीमारी, बीमारी की …

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Corona Diaries: चौदह दिन का घरवास

  03.04.2020 इंसान के मनोभावों में भय सबसे आदिम प्रवृत्ति है। इसी भय ने हमें गढ़ा है। सदियों के विकासक्रम में इकलौता भय ही है, जो अब तक बना हुआ …

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