बात बोलेगी: झूठ की कोई इंतिहा नहीं…

भारत के संसदीय इतिहास में यह पहला संसदीय सत्र है जहां प्रश्नकाल नहीं है। यानी मौखिक रूप से कोई प्रश्न और बहस नहीं होगी। आप चाहें तो लिखित में दिये गये जवाबों से सच और झूठ का विच्छेदन करते रहिए, पर उससे कुछ हासिल नहीं होगा।

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डेटा पर नियंत्रण के रास्ते बनते कंपनियों के नये बहुराष्ट्रीय उपनिवेश: संदर्भ फ़ेसबुक

काफी समय से साम्राज्यों का अध्ययन उनके सूचना-संचार का अध्ययन के रूप में प्रकट हुआ है. अब तो यह निष्कर्ष सामने आ गया है कि संचार का माध्यम ही साम्राज्य था.

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