अपनी बंदूक से पैटन टैंकों को ध्वस्त करने वाला गाज़ीपुर का परमवीर शहीद अब्दुल हमीद

कुश्ती को लेकर उनकी दीवानगी कुछ ऐसी थी कि जब पूरा गांव सोता था, तो वह कुश्ती के हुनर सीखते थे। उनकी कद-काठी भी पेशेवर पहलवानों जैसी ही थी। इसके अलावा लाठी चलाना, बाढ़ में नदी को तैर कर पार करना, सोते समय फौज और जंग के सपने देखना तथा अपनी गुलेल से पक्का निशाना लगाना भी उनकी खूबियों में था।

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