अफगानिस्तान: बैठे रहो और देखते रहो?

यह कितनी बड़ी विडंबना है कि विदेश सेवा का एक अनुभवी अफसर हमारा विदेश मंत्री है और हमारे पड़ोस में हो रहे इतने गंभीर उथल-पुथल के हम मूक दर्शक बने हुए हैं। अफसोस तो हमारे राजनीतिक दलों के नेताओं पर ज्यादा है, जो अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।

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