पटना घोषणा: बिहार के सभी राजनैतिक दल “फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबलिंग” के लिए हुए एकमत

सभी राजनैतिक दल के प्रतिनिधियो ने पटना घोषणा पत्र का विमोचन किया करके घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके अपना समर्थन दिया| सभी प्रतिनिधियों ने , अपने संबंधित दलों के आगामी चुनावी घोषणापत्रों पर हस्ताक्षर करके इन मांगों को शामिल करने का वादा किया।

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असंचारी रोगों और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर शिकायतों के जवाब में NHRC की निर्णायक कार्रवाई

एनएचआरसी स्वास्थ्य मंत्रालय और एफएसएसएआई को अनुस्मारक और नोटिस जारी करता रहा है, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। अब जो नोटिस जारी किया गया है उसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होगा क्योंकि यह जनमानस की जरूरत है।

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यूपी और बिहार के गरीबों के बीच बढ़ता जा रहा है हानिकारक पैकेटबंद खाने का चलन: अध्ययन

भारत में खाद्य और पेय उद्योग 34 मिलियन टन की बिक्री के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। यूरोमॉनिटर के आंकड़ों के अनुसार, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत 2020 तक दुनिया में पैकेज्ड फूड के लिए तीसरे सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

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अपने बच्चों को मोटापे और रोगों से मुक्त रखने के लिए पैकेट पर ‘चेतावनी लेबल’ की मांग उठानी होगी!

मस्तिष्क की कार्य क्षमता आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन पर निर्भर करती है। यह आपके शरीर और मस्तिष्क को अवसाद और तनाव की ओर ले जाता है। साथ ही अमिनो एसिड की पर्याप्त मात्रा न होने के कारण भी आप अवसादग्रस्त हो सकते हैं।

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बच्चों का स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अलीगढ़ से उठी पैकेज्ड भोजन के खिलाफ आवाज

यूरो-मॉनिटर डेटा के पूर्वानुमान के अनुसार चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत सन 2020 तक दुनिया में पैकेज्ड फूड के लिए तीसरे सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरने के लिए तैयार था। अध्ययनों से पता चला है कि भारत में शहरी और ग्रामीण घरों में 53% बच्चों ने चिप्स और इंस्टेंट नूडल्स जैसे नमकीन पैकेज्ड फूड का सेवन किया, 56% बच्चों ने चॉकलेट और आइसक्रीम जैसे मीठे पैकेज्ड फूड का सेवन किया और 49% बच्चों ने चीनी-मीठे पैकेज्ड पेय का सेवन किया- सप्ताह में औसतन दो बार से अधिक।

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