तिर्यक आसन: समाजवादी युवा का ‘कम्प्लीट फेसपैक’

पुलिस को लगा अध्यक्ष के पीछे खड़े कार्यकर्ताओं ने पुतला फूँक दिया। अनापत्ति प्रमाण पत्र के उल्लंघन की आशंका में पुलिस ने लाठियाँ चटकानी शुरू कर दी। बाइट पूरी नहीं हुई थी, भगदड़ मच गई। अध्यक्ष हाथ में झंडा लेकर भागे। पीछे पुलिस। थोड़ी दूर भागने के बाद वे झंडे में फँसकर सड़क पर गिर पड़े। पुलिस उन्हें टाँगकर थाने ले गई।

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तिर्यक आसन: फ्यूज बल्ब वाले अर्बन ईडियट्स का बहुमत

। खोदाई के दौरान जमीन के नीचे से एक एलईडी बल्ब निकला। भक्तों को लगा, ऊपर वाले नीचे से प्रकट हुए हैं। बल्ब को शिवलिंग समझ भक्त चढ़ावा चढ़ाने लगे। लगभग पंद्रह सौ रुपये की कमाई करने के बाद किसी ने बता दिया कि शिवलिंग नहीं एलईडी बल्ब है। भक्तों के विश्वास का बल्ब फ्यूज हो गया।

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तिर्यक आसन: आधुनिक गुरु-शिष्य पुराण

शिष्य था। उसका अपराधीकरण रोकना मेरा फर्ज था। साथ ही सनसनी को सन्नाटे में भी डालना था। मैंने सोचा- सनसनी से मुक्ति पाने के लिए ये अपने अपराधीकरण के रास्ते पर काफी आगे बढ़ चुका है। इसे वापस नहीं लाया जा सकता। ये किया जा सकता है, इसका राजनैतिक अपराधीकरण करना होगा। इसे दिल्ली से बनारस लाना होगा। वाया लखनऊ।

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तिर्यक आसन: गाँधी टोपी के साथ मेरे भौतिक द्वन्द्ववादी प्रयोग

गुस्से की भी पॉलिटिक्स होती है। अपने से कमजोर पर ही निकलता है। बॉस पर कभी नहीं निकलता। इस पॉलिटिक्स के अनुसार सत्य जी अपना गुस्सा मुझ पर नहीं निकाल सके। वे जानते हैं, इसकी क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया की, तो ये आलोचना की समालोचना कर देगा। वो भी एक्स्ट्रा 2एबी के साथ।

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व्यंग्य: जब रामपुर के बोरिंग में फंसा मिला सदन से भागा ईमान…

मनोहर ने जैसे ही अख़बार खोला, प्रथम पृष्ठ पर ही बड़े-बड़े अक्षरों में एक घोटाले के पकड़े जाने का समाचार छपा था! “तुम्हें ये कैसे मालूम कि किसी घोटाले का समाचार छपा होगा आज के अख़बार में?” मनोहर ने जब पूछा तो अंदर से जवाब आया, “देखो भाई! जब-जब देश का ईमान कहीं गिरा है तब-तब ऐसे घोटाले हुए हैं!”

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तिर्यक आसन: सम्मान की मास्कवादी पढ़ाई उर्फ चरण पुजाई का साहित्य

मैंने टाइम टेबल बनाकर सम्मान की पढ़ाई करने वालों की प्रतिस्पर्धा देखी है। वे टाइम टेबल में सम्मान के घंटों का भी वर्णन लिखते हैं। पढ़ाई का घंटा कम-बेसी हो जाता है, पर सम्मान का घंटा टस से मस नहीं होता- पढ़ाई में हुई कमी चरण पुजाई पूरा कर देगी।

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तिर्यक आसन: आत्मा से ब्रह्म तक पसरा श्रेष्ठता का भूत

आधुनिक कथाओं में मानवताविरोधियों को चकमा देने वाले पात्रों की संख्या अत्यधिक है, जो अपने प्राण और आत्मा को शरीर से बाहर रखते हैं। आधुनिक दौर के ऐसे पात्र रियल स्टेट, फिल्म निर्माण, मीडिया इंडस्ट्री, धर्म आदि नामक गुल्लक में धन नामक अपने प्राण को सुरक्षित रखते हैं। गुल्लक में प्राण सुरक्षित रखने के बाद चिंता हुई, आत्मा कहाँ छुपाकर रखी जाए।

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तिर्यक आसन: उसी को हक़ है जीने का जो इस ज़माने में, इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए!

कर्ज लेना भी एक उपलब्धि है। बशर्ते कि कर्ज लाखों-करोड़ों में हो। उसी कर्ज से खरोंच, फ्रैक्चर बन जाती है। कर्ज अगर बैंक की कृपा से एनपीए घोषित हो जाये, तो खरोंच, सेप्टिक जितनी घातक हो सकती है। टाँग काटने की नौबत आ सकती है। ऐसी खरोंच राष्ट्रीय ब्रेकिंग बनेगी- ध्यान से देखिए…।

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तिर्यक आसान: जुगाड़ीज़ फ्रॉम सिएमा विन डिजाले! या या या…

फंडिंग के स्रोत का पता चलने के बाद, हो सकता है अजीत डोभाल सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दें- किसानों को फंड धरती दे रही है। हलफनामे के आधार पर सुप्रीम कोर्ट धरती को अदालत में हाजिर होने की तारीख मुकर्रर कर दे। दो-तीन तारीखों पर हाजिर न होने पर अदालत अपनी अवमानना मान धरती की कुर्की का आदेश सुना दे।

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तिर्यक आसान: आपका गौरव तो आर्थिक उदारीकरण के समय से ही ठंडा हो चुका है!

आज का विषय है- गौरव। घर का गौरव। क्षेत्र का गौरव। जिले का गौरव। प्रदेश का गौरव। देश का गौरव। गॉडफादर बनने का गौरव। गॉडमदर बनने का गौरव। सबसे बड़ा- पांडुलिपि की तकिया का गौरव।

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