बच्चों का स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अलीगढ़ से उठी पैकेज्ड भोजन के खिलाफ आवाज

यूरो-मॉनिटर डेटा के पूर्वानुमान के अनुसार चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत सन 2020 तक दुनिया में पैकेज्ड फूड के लिए तीसरे सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरने के लिए तैयार था। अध्ययनों से पता चला है कि भारत में शहरी और ग्रामीण घरों में 53% बच्चों ने चिप्स और इंस्टेंट नूडल्स जैसे नमकीन पैकेज्ड फूड का सेवन किया, 56% बच्चों ने चॉकलेट और आइसक्रीम जैसे मीठे पैकेज्ड फूड का सेवन किया और 49% बच्चों ने चीनी-मीठे पैकेज्ड पेय का सेवन किया- सप्ताह में औसतन दो बार से अधिक।

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स्वस्थ भोजन के बच्चों के अधिकार की रक्षा के लिए बनारस में उगा ‘पीपल’!

वाराणसी के संकट मोचन मंदिर के महंत और आईआईटी-बीएचयू के इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को मोटापे और घातक बीमारियों की चपेट में आने से बचाने की तत्काल जरूरत है।

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तन मन जन: पोषण मतलब 100 करोड़ कुपोषितों का चमकता बाज़ार

भुखमरी और कुपोषण को ख़तम करने के नाम पर आज कल कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं सक्रिय हैं। बाज़ार में मुनाफ़े के लिए खड़ी ये कम्पनियां भूख और कुपोषण के खिलाफ अनेक कार्यक्रम भी चला रही हैं। इनके खाद्य व्यवसाय में सक्रिय होने के बाद कुपोषण के मामले और बिगड़े ही हैं।

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भूखे-नंगे देश में पोषण पर क्विज़ और मीम?

पांच साल से कम आयु वर्ग के बच्चों की मौत में हम विश्व में पहले स्थान पर हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ‘मन की बात’ में पोषण पर क्विज़ और मीम प्रतियोगिता कराने में व्यस्त और खुद पर मंत्रमुग्ध हैं।

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