विश्वगुरु का फर्जी ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’: घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने!

भारत को विश्व गुरु बनाना तो नहीं अपितु खुद को विश्व नेता के रूप में प्रस्तुत करना प्रधानमंत्री का लक्ष्य रहा है और उन्होंने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को देश पर इस तरह आरोपित कर दिया है कि आज देश जीवनरक्षक वैक्सीन की उपलब्धता के संकट से जूझ रहा है।

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