जो विपक्षी दल आपस में एक दूसरे के साथ लड़ते हैं, वे फ़ासिस्टों के साथ हैं: अरुंधति रॉय

हमें एक बड़ी अहम माँग उठाने की ज़रूरत है कि हमारे देश में कोई व्यक्ति सिर्फ़ एक ही कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बन सकता है। हमें राजा-महाराजाओं का समय नहीं चाहिए। वह समय ख़त्म हो गया। अब हमें माँग करनी है कि एक व्यक्ति सिर्फ़ एक ही बार प्रधानमंत्री बन पाए, उससे ज्यादा नहीं। हमारी तरफ़ से यह एक लोकतांत्रिक माँग उठनी चाहिए।

Read More

जंग के बीच सेनापति से इस्तीफे की मांग अनैतिक और अव्यावहारिक क्यों है

प्रधानमंत्री अगर स्वयं भी इस्तीफ़े की पेशकश करें तो हाथ जोड़कर उन्हें ऐसा करने से रोका जाना चाहिए। उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया तो वे नायक हो जाएंगे, ‘राष्ट्रधर्म’ निभा लेने के त्याग से महिमामंडित हो जाएंगे और किसी अगली और भी ज़्यादा बड़ी त्रासदी के ठीक पहले राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए पुनः उपस्थित हो जाएंगे।

Read More

“स्वाभिमान को ताक पर रख के मैं हाथ जोड़ती हूं, आप कुर्सी से हट जाइए”!

अगर आप पद से नहीं हटते हैं तो हम में से लाखों लोग बिना किसी वजह के मारे जाएंगे। इसलिए अब आप जाइए। झोला उठा के। अपनी गरिमा का ध्यान रखते हुए। ध्यान करते हुए और एकांतवास में आप अपनी आगे की जिन्दगी सुकून से जी सकते हैं।

Read More

भारत, पूंजीवाद, राष्ट्रवाद, साहित्य और राजनीति पर अरुंधति रॉय से सात सवाल

किसी नदी को आप विषमुक्‍त कैसे करते हैं? मेरे खयाल से, विष खुद-ब-खुद उसमें से निकल जाता है। बस, बहती हुई धारा अपने आप ऐसा कर देती है। हमें उस धारा का हिस्सा बने रहना होगा।

Read More

शांति के लिए कोरिया का प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्‍कार LLPP इस साल अरुंधति रॉय को

इस साल शांति के लिए ली हो छ साहित्यिक पुरस्‍कार (एलएलपीपी) के लिए चयन समिति ने अरुंधति रॉय को इसलिए चुना क्‍योंकि ‘’रॉय की साहित्यिक चेतना इस मामले में लेखक ली हो छ के समांतर है कि उन्‍होंने भारत की समस्‍याग्रस्‍त चेतना के इतिहास में निरंतर शांति के लिए प्रयास किया है।‘’

Read More