शहीद उधम सिंह के शहादत दिवस को ‘साम्राज्यवाद विरोधी दिवस’ के रूप में मनाया गया: SKM

किसानों पर तरह-तरह के झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाने के बाद, “अय्याशजीवी” एक नया प्रयास है – लाखों मेहनती, शांतिपूर्ण और दृढ़ किसानों की सच्चाई इन प्रयासों से दबाया नहीं जा सकता है – किसानों के सत्य पर आधारित यह आंदोलन विजयी होगा।

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चुनाव आते-जाते रहेंगे, लेकिन अब भी न संभले तो कहीं देश के साथ खेला न हो जाए!

दुनिया के जिन लोकतंत्रों ने तरक्की के नए मुकामों को हासिल किया, वहां नए विचारों का सृजन अनवरत रूप से हुआ। वहां कभी खोखलेपन की भक्ति नहीं की गयी, अंधानुकरण करते हुए ‘नीरो’ को अपना देवता नहीं माना गया।

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अपना हिस्सा अपना हक़, मांग रहा है मेहनतकश!

किसान आंदोलन भी धीरे-धीरे समाज की सहानुभूति अर्जित करता जा रहा है। जहां एक ओर पंजाब के गांव-गांव से बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक इस आंदोलन से जुड गए हैं वहीं देश-विदेश के लाखों युवा अपने सामर्थ्य से आगे बढ़कर इन किसानों के साथ जुड़ते जा रहे हैं।

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आर्टिकल 19: मुंह छुपाये गिद्धभोज की ताक में मीडिया और सरकार की छाती पर रोटी दलता किसान

अगर आपको डर लगता है या फिर आप शर्मिंदगी नाम के भाव से परिचित हों, सार्वजनिक जीवन में सदाचार और संवेदना नाम के व्यवहार को समझते हों, तो विज्ञान भवन में माथे से रोटी को लगाती हुई किसान की तस्वीर पिछले कई दशकों की सबसे ज्यादा विचलित करने वाली तस्वीर है।

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पत्रकारिता के दारा सिंहों! मदारी को खारिज कर दो, अब भी वक्त है!

दाराओं की फितरत है अपने आकाओं के लिए हत्याएं करना, बच्चों को जलाना, औरतों की हत्याओं का जश्न मनाना। मानवता का माखौल उड़ाना। “दारा” पूरे समाज को दारा बनाने के सपने देखता है लेकिन ये उसका दु:स्वप्न है। हम उन्हें विचारों से परास्त करेंगे।

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