किसान आंदोलन गवाह है कि गांधीजी की अहिंसा ही इस देश में सबसे कारगर और उपयोगी रास्ता है!

जब हम लोग गांधी के रास्ते पर ही चल सकते हैं तो हमें इस बात को खुलकर स्वीकार करना चाहिए। जब हम जान रहे हैं कि गोली चला कर या बम फेंककर अपने उद्देश्य में सफल नहीं हुआ जा सकता, सिर्फ शहीद हुआ जा सकता है, तो फिर हमें यह बात स्वीकार करनी चाहिए कि आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी का रास्ता बाकी के लोगों के रास्ते से ज्यादा कारगर और उपयोगी था।

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गाँधीवाद के सही पाठ का सवाल हमारी अस्तित्व-रक्षा से जुड़ा है!

हम गांधी की सीखों पर अमल न कर पाए और हमने स्वयं को हिंसा-प्रतिहिंसा एवं घृणा की लपटों में झुलसकर नष्ट होने के लिए छोड़ दिया है। गांधीवाद हमारी अस्तित्व रक्षा के लिए आवश्यक है और इससे हमारा विचलन हमें गंभीर सामाजिक विघटन की ओर ले जा सकता है।

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हर्फ़-ओ-हिकायत: सौ साल में गाँधी के आदर्शों का अंतर और उनके नये बंदर

आज जब युवाओं का एक तबका मुगल, अंग्रेजी या वामपंथी इतिहास-लेखन का विरोध करते हुए गांधीजी के लिए अपशब्दों का प्रयोग करता है तो उन्हें एक सवाल खुद से करना चाहिए कि बाल गंगाधर तिलक, मदन मोहन मालवीय, वल्लभभाई पटेल और राजेन्द्र प्रसाद जैसी शख्सियतों ने उस दौर में क्यों गांधी को अपना नेता चुना?

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