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महामारियों के दौर में रूप बदलते वायरस: H3N2 और H1N1 का ताजा खतरा

वायरसों से संबंधित दो बहुत ही समान शब्द ‘‘एन्टीजन ड्रिफ्ट’’ तथा ‘‘एन्टीजन शिफ्ट’’ अक्सर सुनने में आते हैं। एन्टीजन ड्रिफ्ट को एलील ड्रिफ्ट भी कहते हैं। यह एक प्रकार की आनुवंशिक भिन्नता है। इस गुण की वजह से यह वायरस प्रतिरक्षित आबादी में भी फैल जाता है। इन्फ्लूएन्जा ए तथा इन्फ्लूएन्जा बी ये दोनों वायरस एन्टीजन ड्रिफ्ट की वजह से घातक माने जाते हैं। इसलिए इससे बचाव के टीके भी प्रामाणिक रूप से नहीं बन पाए हैं।

Voices

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बिहार: ऑनलाइन बिज़नेस में आत्मनिर्भर बनती महिलाएं

घाघरा और गंगा नदी के संगम पर बसे इस छोटे से शहर में भी महिला उद्यमियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और इसमें उनकी मदद की है इंटरनेट और प्रौद्योगिकीकरण ने। सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी के एडवांसमेंट ने न केवल महिलाओं के उद्यमी होने की संभावनाओं को बढ़ाया है बल्कि स्मार्टफोन और लैपटॉप की मदद से उनकी उंगलियों पर ला दिया है।

Editor’s Choice

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चाह और फ़र्ज़ के बीच फैला नूर

लोग आखिरकार अपनी आज़ादी को तलाश ही लेते हैं। ईरान से लेकर हिंदुस्‍तान तक मज़हबी ज्ञान की हमारी समझदारी में भले फ़र्क हो, लेकिन सबका निचोड़ एक ही है।

Lounge

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बसु-रमण की धरती पर अंधश्रद्धा और वैज्ञानिक मिज़ाज पर कुछ बातें

पश्चिम के अकादमिक गढ़ों में बैठे उपनिवेशवाद के ये आलोचक और उत्तर-औपनिवेशिकता के ये सिद्धान्तकार निश्चित ही पश्चिमी समाजों को अधिक सभ्य, अधिक जनतांत्रिक और अधिक बहुसांस्कृतिक बनाने में योगदान कर रहे हैं, लेकिन पश्चिम के पास तो पहले से ही विज्ञान और आधुनिकता है, वह पहले ही आगे बढ़ चुका है। इस सब में हम पूरब वालों के लिए क्या है? गरीबी और अंधश्रद्धा के दलदल से हमें अपना रास्ता किस तरह निकालना है? अपने लिए हमें किस तरह के भविष्य की कल्पना करनी है?

COLUMN

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संक्रमण काल: डेढ़ दशक पहले निकली एक लघु-पत्रिका में प्रासंगिक तत्वों की तलाश का उद्यम

यह अनायास ही नहीं कहा जा रहा कि मशीनें जिस तेज गति से चिकित्सा विज्ञान में नई-नई खोजें करने में सफल हो रही हैं, उससे संभावना है कि अगर नोबल देने का मौजूदा पैमाना बरकरार रहा तो वर्ष 2036 तक नोबेल पुरस्कार किसी मशीन को देना होगा।

Review

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‘सीने में फांस की तरह’ फंसी कविताएं

कवि के सीने की फाँस है सेलेब्रिटी बनाम सामान्य मनुष्य। वह कहते हैं- सराहना में/खो जाते सामान्यजन स्वतः/अपने आप। लगभग सभी कविताओं में कवि ऐसे ही विचलित होता है और मानवता के पक्ष में अपनी आवाज उठाता है। ‘आदिवासी’ कविता में निमाड़, मालवा के आदिवासियों का संघर्ष, उनकी बेबसी, उनके दुख, गरीबी और पीड़ा की अभिव्यक्ति हुई है। ‘मिथ’ बड़े पृष्ठभूमि की कविता है जिसमें कवि ने अन्तर्विरोधों को रेखांकित किया है।