छत्तीसगढ़: ‘छोटे मोदी’ का नरम हिन्दुत्व और भोंपू मीडिया असली के सामने हार गया है!

पांच साल पहले भाजपा को ठुकरा कर जनता ने कांग्रेस को मौका दिया था कि वह भाजपा की सांप्रदायिक-कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों का विकल्प पेश करे, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ‘नरम हिंदुत्व’ की राह पर चलने और आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर स्वामित्व छीनने की ही राह अपनाई।

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छत्तीसगढ़: धर्मांतरण के खिलाफ आदिवासियों के छद्म आंदोलन में छुपा सियासी एजेंडा

इस साल के अंत में होने वाले राज्य चुनावों के संदर्भ में भाजपा “फूट डालो और फायदा उठाओ” की स्पष्ट रणनीति पर चल रही है, लेकिन कांग्रेस सरकार के बारे में क्या कहा जाए, जिसने एक भी मंत्री को क्षेत्र का दौरा करने के लिए नहीं भेजा और एक भी प्रभावित परिवार की अभी तक मुआवजे के साथ मदद नहीं की है।

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कॉर्पोरेट लूट, दमन और विस्थापन के खिलाफ जनसंघर्षों का सम्मेलन नौ प्रस्तावों के साथ सम्पन्न

रायपुर के पेस्टोरल सेंटर में भूमि अधिकार आंदोलन एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के बैनर तले जल-जंगल-ज़मीन की कॉर्पोरेट लूट, दमन और विस्थापन के खिलाफ जनसंघर्षों के एकदिवसीय राज्य सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व सांसद हनन मोल्लाह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सम्मेलन में आए वक्ताओं ने देश में जल-जंगल-ज़मीन और जनतंत्र की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

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बस्तर: सिलगेर आंदोलन को एक साल पूरा होने पर जुटे हजारों आदिवासी, विशाल प्रदर्शन

साल भर पहले मारे गए आदिवासियों की पहली बरसी मनाने के लिए दूर-दूर से चलकर आदिवासी तीन दिन पहले ही यहां पहुंच गए थे। आंदोलन के नेता रघु ने बताया कि 15, 16 और 17 मई के कार्यक्रम में पूरे बस्तर से आदिवासी इकट्ठा हुए थे। मुख्य कार्यक्रम 17 मई को था।

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बात बोलेगी: संस्कृति के काक-तालीय दर्शन में फंसी राजनीति

ऐसे मौलिक समाधान पेश करने के लिए कायदे से दुनिया को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के प्रति समवेत स्वर में कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहिए, लेकिन हुआ इसके उलट क्योंकि हसदेव अरण्य में बसे आदिवासी भी प्रामाणिक रूप से छत्तीसगढ़ के नागरिक हैं और वे भी इस दिन की महिमा से परिचित होते ही मुख्यमंत्री के आह्वान पर अपने हसदेव जंगल को, उसकी मिट्टी को, उसकी ज़मीन को, उसके जल को और उसमें बसे वन्यजीवों की रक्षा के लिए सौगंध खाते हैं। यह अनुपालन मुख्यमंत्री को बेचैन कर देता है क्योंकि मिट्टी-पूजन के बहाने वो जंगल उजाड़ने का आह्वान कर रहे थे, लेकिन इस जंगल के आदिवासियों ने उनके आह्वान को वाकई सच्चा मान लिया।

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हसदेव में खनन के खिलाफ़ आदिवासियों की आवाज़ पहुंची दिल्ली, राहुल गांधी करेंगे हस्तक्षेप

राहुल गांधी के साथ मुलाकात में प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें 15 जून 2015 को मदनपुर गांव में आयोजित उनकी चौपाल में ग्राम सभाओं के संघर्ष के साथ खड़े होने के उनके पहले के वायदे की याद दिलाते हुए न्यायसंगत भूमिका की मांग की।

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अडानी के खनन से हसदेव का जंगल बचाने के लिए आदिवासियों की ऐतिहासिक पदयात्रा

ग्रामीणों ने अपनी यात्रा मदनपुर ग्राम से शुरू की और 10 दिनों में 300 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए वे राजधानी रायपुर पहुंच रहे हैं, जहां वे अपनी मांगों को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सौंपेंगे।

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लाल जोहार: शहादत के तीस बरस बाद भी एक ज़िंदा सपने का नाम है शंकर गुहा नियोगी!

देश के प्रसिद्ध श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी के जीवन संघर्ष को लेकर निर्मित डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘लाल जोहार’ वैसे तो यू ट्यूब पर जारी कर दी गई है लेकिन फिल्म का एक विशेष प्रदर्शन 28 सितंबर को लौह नगरी दल्ली राजहरा में होने जा रहा है। इस प्रदर्शन के दौरान फिल्म की टीम से जुड़े सभी सदस्य मौजूद रहेंगे।

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मनरेगा में जातिगत एडवाइजरी: दलित-आदिवासी के लिए न रहेगा फंड, न मिलेगा रोजगार!

इस एडवाइजरी की जरूरत क्या है? एडवाइजरी इस पर चुप है, लेकिन यह प्रचारित किया जा रहा है कि ऐसा आदिवासी व दलित मजदूरों की वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिए किया जा रहा है। इसके लिए क्या वाकई मजदूरों का भुगतान अलग-अलग श्रेणियों में करने की जरूरत है? क्या यह मनरेगा की मूल मंशा के खिलाफ नहीं है?

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छत्तीसगढ़: CBA के प्रतिनिधिमंडल को सिलगेर जाने से रोका गया, आज रायपुर में राज्यपाल से वार्ता

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधिमंडल में संयोजक आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम, छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते, एक्टू के प्रदेश महासचिव बृजेन्द्र तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया व इंदु नेताम आदि शामिल थे।

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