महमूद दरवेश: कौन नहीं रो पड़ा था जिसकी मौत पर एक गैर-मुल्क में हुए कविता-पाठ में!
एक कवि के लिए इतना प्रेम, इतना जज़्बा, इतना आदर, इतना गहरा अपनापन – यह इस लेखक के लिए एक अद्वितीय दृश्य था। महमूद दरवेश का यश, उनका हुनर, उनका मर्म, तब तक विश्व-भर में प्रख्यात था, लेकिन एक गैर-राष्ट्र वाली कौम का एक राष्ट्र-कवि माने जाने वाले व्यक्ति के प्रति इतनी भावपूर्ण और कृतज्ञपूर्ण आवेग देखते ही बनता था।
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