स्कूली शिक्षा के विशेष संदर्भ में नयी शिक्षा नीति की एक अनुभवजन्य समीक्षा

स्कूली शिक्षा के तमाम प्रावधानों में जो मुझे सबसे बेहतर लगता है वह यह कि अब प्री-स्कूलों के विकास पर जोर दिया जाने वाला है। यह एक बेहतरीन कदम है क्योंकि हमारे सरकारी स्कूलों में आने वाले अधिकांश बच्चे ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं जिनके घर पर या आस-पास के माहौल में पढ़ने का उचित वातावरण नहीं मिल पाता है।

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में RTE, 2009 का ज़िक्र न होना आश्चर्यजनक: अंबरीश राय

शिक्षा नीति में कक्षा 6 से छात्रों का व्यावसायिक प्रशिक्षण शुरू करने की बात है जिसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह बच्चों को श्रम बाजार में धकेलने की तैयारी है। जो कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चे हैं वे कौशल उन्नयन के नाम पर कुछ अक्षर-ज्ञान सीख कर शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों से दूर हो जाएंगे।

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नीति से अधिक नीयत पर निर्भर है भारतीय शिक्षा का भविष्य

लोकतंत्र और हमारी समावेशी संस्कृति से जुड़ी मूल अवधारणाओं के माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम से विलोपन की कोशिश शायद इसलिए की जा रही है कि आने वाली पीढ़ी यह जान भी न पाए कि उससे क्या छीन लिया गया है।

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