
जाति और रसूख के हिसाब से न्याय और मुआवजे का ‘राम राज्य’!
पहले जिन्हें थाने से न्याय नहीं मिलता था उसे एसपी कार्यालय से उम्मीद होती थी। ब्लॉक से न्याय नहीं मिल पाता था तो तहसील और जिला अधिकारी कार्यालय से उम्मीद रहती थी लेकिन अब पीड़ितों के सामने इस बात का भी संकट है कि ऐसे अधिकारियों के रहते वह न्याय पाने के लिए जाएं तो कहां जाएं?
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