“एक अश्वेत दास के लिए 4 जुलाई क्या मायने रखती है?” फ्रेडरिक डगलस का ये सवाल आज भी जिंदा है!

डगलस ने हज़ारों दासों की बेड़ियों की बात रखी जो आज़ादी के बावजूद भी आज़ाद नहीं हो पाए थे (अलग-अलग राज्यों ने अपने-अपने अवरोधक कानून बना दिए थे), और उनकी यातनाओं का उल्लेख किया। उनके उत्पीड़न के यथार्थ में अमरीका को उन्होंने मिथ्यावादी और खोखला पाया। दासता अमरीका की बहुचर्चित और अद्वितीय मानी जाने वाली आज़ादी पर एक धब्बे समान थी।

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