जीवन-प्रवाह में बहता एक घुम्मकड़: राहुल सांकृत्यायन

राहुल सांकृत्यायन के विचार प्रवाह उनसे संबंधित किसी भी राजनैतिक एंव धार्मिक संगठन की सीमा का स्वाभाविक उल्लंघन करते थे। अतएव एक स्तर के बाद राहुल सांकृत्यायन के निजी विचारों को कोई भी संगठन समाहित नहीं कर पाता था।

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ज्ञान की खोज में एक महापंडित और यायावर

ज्ञान की इतनी तीव्र पिपासा और जन-चेतना के प्रति निष्ठा ने राहुलजी के व्यक्तित्व को इतना प्रभा-मंडल दिया कि उसे मापना किसी आलोचक की सामर्थ्य के परे है। इसके अलावा जो सबसे बड़ी विशेषता थी- वह यह थी कि यश और प्रशंसा के ऊँचे शिखर पर पहुँचकर भी वे सहृदय मानव थे।

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