नरम हिन्दुत्व या ‘सेकुलर’ दलों की लड्डू पॉलिटिक्स?

तिरुपति मंदिर में तैयार हो रहे लड्डुओं में मिलावट पर गुजरात की प्रयोगशाला की जुलाई की एक रिपोर्ट के चुनिंदा अंश हरियाणा आदि राज्यों में हो रहे चुनावों के ऐन पहले सार्वजनिक करने की बेचैनी इस बात की तरफ साफ इशारा कर रही थी कि मामला इतना आसान नहीं है

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हमारी समस्या है नागरिक आज्ञाकारिता ! ‘बुलडोजर न्याय’ के दौर में हावर्ड जिन की याद

आज जब हमारे मुल्क में बुलडोजर (अ)न्याय का सामान्यीकरण हो चला है और संवैधानिक संस्थाएं भी इस मामले में औपचारिक कार्रवाई के आगे कदम नहीं उठाती दिख रही हैं, ऐसे समय में जनमानस को जगाने के लिए, उन्हें प्रेरित करने के लिए वे सभी जो न्याय, अमन और प्रगति के हक़ में हैं, उन्हें नई जमीन तोड़ने की जरूरत है। 

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आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने का मुद्दा क्या सिर्फ चुनावी भ्रम था?

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने बता दिया है कि आरक्षण को खत्म करने और संविधान को बदलने की मंशा रखकर चुनाव नहीं जीते जा सकते। चुनाव परिणाम ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ‘निर्णायक’ दलित-पिछड़े ही हैं। इसलिए दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा व उनके हितों की अनदेखी किसी को भी भारी पड़ सकती है।

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दुर्ग में दरार? हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के मायने

मोदी की नैतिक हार को रेखांकित करने वाला यह चुनाव और बाद की यह स्थिति उनके लिए तथा व्यापक संघ-भाजपा परिवार के लिए कई सबक पेश करती है। अब उन्हें यह तय करना है कि वह आत्ममंथन करेंगे या किसी अन्य के माथे दोषारोपण करके इतिश्री कर लेंगे!

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मोदी दशक में हिंदी सिनेमा: सॉफ्ट पावर बना सॉफ्ट टारगेट

सांस्कृतिक वर्चस्व की इस लड़ाई में आज हमारे समाज की तरह बॉलीवुड भी खेमों में बंट गया है। यहां भी हिन्दू-मुस्लिम आम हो चुका है और पूरी इंडस्ट्री जबरदस्त वैचारिक दबाव के दौर से गुजर रही है।

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…और आप कहते हैं कि गांधी को कोई जानता भी नहीं था!

स्‍लावोज जिजेक अपनी पुस्तक ‘वायलेंस’ में एक कहानी के माध्यम से समझाते हैं कि जब तानाशाह अपनी पर उतर जाए तो उसे मूल समेत उखाड़ फेंकने का एक ही रास्ता है और वह है गांधी का असहयोग आंदोलन। गांधी ने ही सिखाया था कि जब कभी सत्ता नशे में चूर हो तो असहयोग करो, हेकड़ी निकल जाएगी।

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हरियाणा: आधी सीटों पर प्रत्याशी बदलना क्या भाजपा के संकट को दिखलाता है?

भाजपा के लिए अबकी बार हरियाणा में चुनौतियां गंभीर हो गई हैं। मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री काल के लाभ को करनाल में भाजपा भुना कर सीट को अपने खाते में लाना चाहती है। यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि एक एक सीट भाजपा के लिए जीत सुनिश्चित करने के लिए कितनी महत्वपूर्ण हो गई है।

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क्या हरियाणा में परिवर्तन की नई संभावना होंगी कुमारी शैलजा?

कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के सन्देश को प्रदेश में 90 विधानसभा तक पहुँचाने के उद्देश्य से शुरू की गई इस यात्रा में जिस तरह लोग कड़ाके की ठंड में बाहर आए हैं और देर रात तक सड़कों पर दिखाई दिए, ऐसी उम्मीद शायद एसआरके गुट को भी न रही होगी।

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क्या भाजपा और संघ ने 2024 की पटकथा लिख दी है?

नतीजों से साफ है कि इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस अपने मतदाताओं को जोड़े रखने में सफल रही है जबकि भाजपा ने अन्य दलों अथवा निर्दलीय के समर्थन में जाने वाले मतदाताओं को प्रभावित कर अपने पाले में लाने में सफलता प्राप्त की है। मगर, न ही कांग्रेस और न ही दीगर दलों के नेताओं को यह नजर आ रहा है। वे आज भी इस तथ्य पर गौर न करते हुए ईवीएम को कोसने में मशगूल हैं।

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छत्तीसगढ़: ‘छोटे मोदी’ का नरम हिन्दुत्व और भोंपू मीडिया असली के सामने हार गया है!

पांच साल पहले भाजपा को ठुकरा कर जनता ने कांग्रेस को मौका दिया था कि वह भाजपा की सांप्रदायिक-कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों का विकल्प पेश करे, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ‘नरम हिंदुत्व’ की राह पर चलने और आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर स्वामित्व छीनने की ही राह अपनाई।

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