यह दुनिया बदली जा सकती है! मार्क्स की जयंती पर जलसा

बुद्ध और मार्क्स की तुलना करना ग़लत है। दोनों के समय में दो हज़ार बरस का अंतर है। बुद्ध और मार्क्स, दोनों के ही योगदान अपनी-अपनी तरह से अप्रतिम है। किसी एक को बड़ा बताने के लिए किसी दूसरे को छोटा करना ज़रूरी नहीं।

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गीत, नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से याद किया सफदर को

सफ़दर ने आधुनिक भारत में नुक्कड़ को लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय बनाया इसलिए 2 जनवरी 1989 को उनकी मृत्यु के बाद 12 अप्रैल उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। “कुर्सी-कुर्सी-कुर्सी” सफदर का पहला नाटक था।

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पॉल रॉबसन – समुद्र, आकाश और मिट्टी की आवाज़

इंदौर, 15 अप्रैल 2023 पिछली सदी के महान गायक और  नागरिक अधिकारों के योद्धा पॉल रॉबसन की 125वीं जयंती के मौके पर भारतीय जन नाट्य सघ (इप्टा) की इंदौर इकाई …

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नागरिकता पर सवाल उठाता IPTA का नाटक “धीरेंद्र मजूमदार की मां”

देश में औपनिवेशिक आजादी के लिए चले जन संग्राम का परिणाम सांप्रदायिक आधार पर देश विभाजन के रूप में सामने आया। देश के बंटवारे का दंश अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी भुगतना पड़ा था जो विभाजन नहीं चाहते थे। ऐसे ही लोगों में धीरेंद्र मजूमदार की मां शांति मजूमदार भी थी। वह मां जिसकी चार संतानों ने अंग्रेजों से हुई लड़ाई में शहादत दी और बाकी चार ने बांग्लादेश के लिए चले मुक्ति संघर्ष में अपनी जान गंवाई।

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सच कहना ही प्रतिरोध है, प्रेम करना है नफरत का विरोध: IPTA की सांस्कृतिक यात्रा का समापन

इप्टा द्वारा पाँच राज्यों में 44 दिनों तक निकाली गई “ढाई आखर प्रेम के” सांस्कृतिक यात्रा का समापन इंदौर में गीत, संगीत और नाटकों के प्रदर्शन के साथ समारोहपूर्वक संपन्न हुआ। सार्वजनिक स्थलों पर जनगीत गाए गये। नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति हुई। इप्टा के कलाकारों ने यात्रा निकालने के कारणों और यात्रा में मिले अनुभवों को साझा किया।

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किसान आंदोलन की जीत अनेक जनांदोलनों को जीवित रखने की ऊर्जा दे गयी: IPTA

4 दिसम्बर की शाम सत्यजित रे और साहिर लुधियानवी को समर्पित रही तथा 5 दिसम्बर की सुबह का सत्र अमृत राय, तेरा सिंह चन्न तथा संतोष सिंह धीर की जन्मशताब्दी को समर्पित रहा। इसके अलावा पंजाब इप्टा के कलाकारों द्वारा 4 दिसम्बर को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गई। कार्यसूची के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय समिति के पदाधिकारी एवं सदस्य तथा विशेष आमंत्रित युवा साथी इकट्ठा हुए थे।

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बंगाल का अकाल और ख़्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘धरती के लाल’: IPTA की शृंखला

बिजन भट्टाचार्य का नाटक ‘नबान्न’ देखने के लिए जब अब्बास साहब 1943 गए तो वहां उन्होंने अकाल की वजह से पलायन करके कलकत्ता आए भीख माँगते किसानों और भूख की वजह से कचरे के ढेर से खाना तलाशते बच्चों, सड़कों पर गरीबों की लाशों तथा उसके बरक्स शानदार होटलों में चलते अमीरों के उत्सवों और जश्नों को देखा जिससे विचलित होकर और इसी विषय पर बने नाटक ‘नबान्न’, ‘अंतिम अभिलाषा’ और कृष्ण चन्दर की कहानी ‘अन्नदाता’ से प्रेरित होकर ‘धरती के लाल’ फिल्म बनाने की योजना बनायी।

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सरहद, मिट्टी और ख्वाब: ख्वाजा अहमद अब्बास पर IPTA की शृंखला में ‘हिना’ पर चर्चा

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) द्वारा ख्वाज़ा अहमद अब्बास के बहुआयामी व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित ऑनलाइन कार्यक्रम की तीसरी कड़ी में अब्बास साहब द्वारा लिखी फिल्म “हिना” पर विस्तार से बात हुई जिसका प्रीमियर फेसबुक और यूट्यूब पर 27 जुलाई 2021 को किया गया।

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ख्वाजा अहमद अब्बास की रचनात्मक दृष्टि और फिल्मों पर चर्चा: IPTA की शृंखला

भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) द्वारा महान लेखक, पत्रकार, फिल्मकार ख़्वाजा अहमद अब्बास की रचनात्मकता पर केंद्रित एक कार्यक्रम श्रृंखला 15 जुलाई 2021 को यूट्यूब और फेसबुक पर शुरू की थी। यह दूसरे कार्यक्रम का प्रीमियर था जिसमें फिल्‍म ‘’दो बूंद पानी’’ पर चर्चा करते हुए सूफ़ीवाद की विद्वान, योजना आयोग की पूर्व सदस्य और ख्वाजा अहमद अब्बास की भतीजी डॉ. सईदा हमीद ने अपने अब्बास चाचा के बारे में कई बातें बतायीं।

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छतरपुरः हिंदूवादी संगठन ने इप्टा के नाट्य मंचन पर रोक के लिए लिखा धमकीभरा पत्र

विहिप का आरोप है कि इप्टा द्वारा मंचित किए जाने वाले ये नाटक पूर्णतया हिन्दू संस्कृति व धर्म विरोधी हैं। संगठन ने इस कारण ही प्रशासन से इनके मंचन पर जल्द से जल्द रोक लगाने की मांग की है।

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