अमरकांत के कथा साहित्य में स्त्री की उपस्थिति

आज कथाकार अमरकांत की जयन्‍ती है। उनके लेखन का दायरा निम्नमध्यवर्ग और मध्यवर्ग की समस्याओं के आसपास केन्द्रित रहा है। इस समाज की आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को अमरकांत ने व्यापक विस्तार के साथ चित्रित किया है।

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अफगानी महिलाओं के लिए क्या गुलामी का नया अध्याय साबित होगी अमेरिकी सेना की वापसी?

करीमी और अन्य युवा महिलाएं जो पार्लर में काम कर रही हैं, उन्होंने कभी तालिबान के शासन का अनुभव नहीं किया, लेकिन वे सभी यह चिंता करती हैं कि अगर तालिबान सत्ता हासिल कर लेता है, तो उनके सपने खत्म हो जाएंगे।

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गृहिणियों को पगार देने का चुनावी वादा और सार्वजनिक दायरे में बराबरी के अवसर का सवाल

चुनावी वादे कितने पूरे होते हैं यह तो हम सभी जानते हैं इसलिए इस पर बात ना करें तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इन घोषणाओं तथा समझदारियों से हम स्त्री के मुद्दे पर समझ के बारे में चर्चा जरूर कर सकते हैं।

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पंचतत्व: जलवायु में बदलाव का सबसे बुरा असर हाशिये के तबकों पर हो रहा है

मैदानी इलाकों में भी जहां खेती का नियंत्रण भले ही मर्दों के हाथ में हो लेकिन खेती के अधिकतर काम, बुआई, कटाई और दोनाई में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक होती है, जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिख रहा है.

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MP: महिला किसानों पर केंद्रित 12 सूत्रीय माँगपत्र जिला कलेक्ट्रेट पर सौंपेगी किसान संघर्ष समिति

किसानों के लिए जो भी योजनाएं बनाई जाती है वे महिला किसानों तक नही पहुँच पाती हैं। न ही उन योजनाओं का लाभ स्वतंत्र रूप से महिला किसानों को नही मिल पाता है। इस स्थिति को बदलने के जरूरत है, इस कारण से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति-संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित महिला किसान दिवस 18 जनवरी 2021 आयोजित किया जा रहा है।

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अपना हिस्सा अपना हक़, मांग रहा है मेहनतकश!

किसान आंदोलन भी धीरे-धीरे समाज की सहानुभूति अर्जित करता जा रहा है। जहां एक ओर पंजाब के गांव-गांव से बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक इस आंदोलन से जुड गए हैं वहीं देश-विदेश के लाखों युवा अपने सामर्थ्य से आगे बढ़कर इन किसानों के साथ जुड़ते जा रहे हैं।

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बदलाव के कगार पर बिहार: चुनाव के मुद्दे व संबंधित संदर्भ

आज के चुनावी परिदृश्य में एक तरफ जहां सुशासन बाबू अपने ही बनाये ताने-बाने में उलझे, अटके, फंसे पड़े दिख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एक 31 साल का नौजवान नये जोश और उमंग से लबरेज पूरे वातावरण में ताजगी और बदलाव का समां बांध रहा है। एक से एक चुनावी रणकौशल के उस्ताद से लेकर तथाकथित चुनावी चाणक्य तक इस नौजवान की हुंकार के सामने बौने नज़र आ रहे हैं।

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माहवारी में पैदल चलती महिलाओं का दर्द क्या आपकी कल्पना के किसी कोने में है?

जरूरत है कि हम ‘पैडमैन’ जैसी फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर ताली बजाने को ही अपनी आखिरी जिम्मेदारी न समझ बैठें

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तन मन जन: सत्ता से लेकर सड़क तक कोरोना-काल में इतिहास रचती औरतें

अध्ययन और आंकड़े बता रहे हैं कि कई देश जहां महिलाएं शासन में हैं, वहां कोरोना संक्रमण से नुकसान तो हुआ लेकिन वह अन्य देशों की तुलना में काफी कम हुआ

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