1857 के पुरबिया विद्रोहियों का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़
उम्मीद है साम्प्रदायिक होते समाज विशेषकर पूरबी उत्तर प्रदेश को फिर से पटरी पर लाने में यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। यह इस पुस्तक की अन्य प्रमुख विशेषताओं में से एक है। लेखक इसके लिए साधुवाद का पात्र हैं।
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