पेरिस: कोर्ट ने कहा फ़्रांस जलवायु परिवर्तन निष्क्रियता का दोषी, देना होगा मुआवज़ा!

मामला है दो मिलियन नागरिकों द्वारा समर्थित गैर सरकारी संगठनों के एक समूह का जिसने फ्रांसीसी सरकार पर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए क़दम उठाने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की थी, जिसे “केस ऑफ़ द सेंचुरी” करार दिया गया है। अदालत ने राज्य को मुआवज़े के रूप में 1 यूरो की प्रतीकात्मक रकम का भुगतान करने का आदेश भी दिया।

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दक्षिणावर्त: अदृश्य भय वाला सेकुलरिज्म बनाम फ़र्ज़ी डराने वाला इस्लामोफोबिया

मुद्दा क्या होना चाहिए था और क्या है? मुद्दा था कि इस्लाम के नाम पर फ्रांस में एक और हत्या हुई। यह तमाम हत्याओं की फेहरिस्‍त में एक और हत्या मात्र है और कम से कम अब इस्लाम के ऊपर बात होनी चाहिए। यह लेकिन मुद्दा नहीं बना। मसला इस बात को बनाया गया कि मैक्रां ने इस्लाम के ऊपर टिप्पणी की है और वह एक हत्यारे के बहाने ‘इस्लामोफोबिया’ को बढ़ावा दे रहे हैं।

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फ्रांस की घटना,साम्प्रदायिकता और भारतीय मुसलमान

गौर से देखिये तो ये दोनों साम्प्रदायिकताएँ एक ही तरह से सोच रही हैं। ये कहने को तो एक दूसरे के विरोधी लग रही लेकिन ये दोनों आपस में एक दूसरे को जस्टिफाई भी कर रही हैं।

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देशान्तर: क्या कोरोना-काल के बाद वामपंथ और ग्रीन पॉलिटिक्स का उदय तय है? फ्रांस से संकेत…

राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक उथल पुथल होगा यह तो तय था, लेकिन फ़्रान्स के लोकप्रिय राष्ट्रपति इमनुएल मैक्रोन क्या इतनी जल्दी मुश्किलों में पड़ जाएंगे? ताज़ा संपन्न हुए लोकल स्तर के चुनावों के नतीजों में फ़्रांस के हरित, समाजवादी और साम्यवादी दलों की भारी जीत किस नयी राजनीति का आग़ाज़ कर रही है?

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