
वुहान के लॉकडाउन की पहली बरसी: आज ही के दिन बदल गयी थी COVID को ले कर हमारी सोच
यह महत्वपूर्ण है कि हम कोविड 19 से सबक सीखें और साथ ही आगे के वर्ष में उन चुनौतियों का समाधान करने की ओर आगे बढ़ें।
Read MoreJunputh
यह महत्वपूर्ण है कि हम कोविड 19 से सबक सीखें और साथ ही आगे के वर्ष में उन चुनौतियों का समाधान करने की ओर आगे बढ़ें।
Read Moreवैक्सीन का इन्तजार कर रहे लोगों को भी मेरा यही संदेश है कि इम्यूनिटी का वैक्सीन डोज यदि सुरक्षित है तो जरूर लीजिए लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है कि आप प्राकृतिक इम्यूनिटी के लिए प्राकृतिक जीवन शैली में लौटिए। आपकी टिकाऊ इम्यूनिटी प्रकृति ही दे सकती है। इसलिए प्रकृति को बचाइए ताकि आप भी बच सकें।
Read Moreकोरोना वायरस के संक्रमण का डर जब भी कम होने लगता है तभी कोई न कोई तकनीकी डर खड़ा कर लोगों को दहशत में डाल दिया जाता है। यह अध्ययन का विषय है कि वायरस वास्तव में खतरनाक है या इसके डर को खतरनाक बना कर पेश किया जा रहा है।
Read Moreक्या एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने में उनकी कथित भूमिका को लेकर तथा उनके हाशियाकरण को लेकर कभी हुक्मरानों को या उनसे संबंधित तंजीमों को कभी जिम्मेदार ठहराया जा सकेगा? क्या वह अपने इन कारनामों को लेकर कभी जनता से माफी मांगेंगे?
Read Moreकोविड-19 महामारी ने एक और बड़ी सीख यह दी है कि वैश्विक विज्ञान और स्वास्थ्य नीति जितनी ज़रूरी हैं, उतना ही अहम है स्थानीय नेतृत्व जो वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नीतियों को प्रभावकारी कार्यक्रम में परिवर्तित कर सके और जन स्वास्थ्य परिणामों में बदल सके।
Read Moreएक्सेटर विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर पियरे फ्राइडलिंगस्टीन ने कहा -“हालांकि वैश्विक उत्सर्जन पिछले साल इतना अधिक नहीं था पर अभी भी लगभग 39 बिलियन टन CO2 की मात्रा में है ।जबकि वातावरण में CO2 में और वृद्धि हुई है वायुमंडल में CO2 स्तर और परिणाम स्वरूप विश्व की जलवायु केवल तभी स्थिर होगी जब वैश्विक CO2 उत्सर्जन जीरो के आस पास होगा।
Read Moreरिलायंस जियो के बहिष्कार के बाद शायद निकट इतिहास में यह पहला मौका है जब अंबानीज़ इस तरह बौखलाए हुए हैं, हालांकि यह बौखलाहट अच्छी है। सर्फ एक्सल कहता है कि दाग बुरे नहीं हैं। कोरोना की तरह किसान आंदोलन को इस ‘उजागर करो अभियान’ का भरपूर श्रेय दिया जाना चाहिए।
Read Moreजिसे भी देखिए वह थोड़े लापरवाह स्थिति में वैक्सीन के नाम से ही आश्वस्त है कि, ‘‘अब डर काहे का, वैक्सीन तो आ ही रही है।’’ ऐसा कहते चक्त यह भी जानिए कि विश्व स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन को लेकर क्या कह रहा है। संगठन के हेल्थ इमरजेन्सी डायरेक्टर माइकल रेयान का वक्तव्य तो डराने वाला है। वे कहते हैं कि ‘‘हो सकता है हमें वायरस के साथ ही जीना पड़े।’’
Read Moreउन्होंने एक शानदार घटिया किस्म की सड़कछाप शायरी से अपनी बात शुरू की और कहा- ‘आपदा के गहरे समंदर से निकलकर हम किनारे की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसा न हो जाए कि हमारी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था। हमें वैसी स्थिति नहीं आने देनी है’।
Read Moreकोविड-19 के संदर्भ में सरकार की कार्यप्रणाली पर किसी संसदीय समिति की यह पहली रिपोर्ट है। देश में 138 करोड़ आबादी की स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च को बहुत कम बताते हुए संसदीय समिति ने कहा है कि देश की जर्जर स्वास्थ्य सुविधाएं कोविड-19 महामारी से निबटने में सबसे बड़ी बाधा है।
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