बात बोलेगी: संस्कृति के काक-तालीय दर्शन में फंसी राजनीति

ऐसे मौलिक समाधान पेश करने के लिए कायदे से दुनिया को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के प्रति समवेत स्वर में कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहिए, लेकिन हुआ इसके उलट क्योंकि हसदेव अरण्य में बसे आदिवासी भी प्रामाणिक रूप से छत्तीसगढ़ के नागरिक हैं और वे भी इस दिन की महिमा से परिचित होते ही मुख्यमंत्री के आह्वान पर अपने हसदेव जंगल को, उसकी मिट्टी को, उसकी ज़मीन को, उसके जल को और उसमें बसे वन्यजीवों की रक्षा के लिए सौगंध खाते हैं। यह अनुपालन मुख्यमंत्री को बेचैन कर देता है क्योंकि मिट्टी-पूजन के बहाने वो जंगल उजाड़ने का आह्वान कर रहे थे, लेकिन इस जंगल के आदिवासियों ने उनके आह्वान को वाकई सच्चा मान लिया।

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किसान आंदोलन: शाहजहांपुर मोर्चे पर तूफान ने उखाड़े तंबू, सहयोग की अपील

संयुक्त किसान मोर्चा समाज कल्याण के संगठनों और आम जन से निवेदन करता है कि शाहजहांपुर बॉर्डर पर हर संभव मदद पहुंचाई जाए ताकि वहां पर धरना दे रहे किसानों को कोई भी दिक्कत ना हो।

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विफल नेतृत्व की गलतियों का असर कम करने के लिए कब तक त्याग करती रहेगी जनता?

प्रधानमंत्री जी ने इस भीषण संकट काल में भी अपने मन की बात ही की। हो सकता है कि उनके काल्पनिक भारत की आभासी जनता को उनका यह एकालाप रुचिकर लगा होगा, लेकिन मरते हुए रोगियों और उनके हताश परिजनों के लिए तो यह एक क्रूर परिहास जैसा ही था।

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एक कॉल की दूरी के बीच बिन मांगे तोहफ़ों की दीवार खड़ी है!

2 फरवरी को न्यूज़लॉन्‍ड्री की रिपोर्टर निधि सुरेश जब सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन कवर करने गयीं तो उनको आंदोलनस्थल पर किसानों के मंच तक जाने नहीं दिया गया. एक पुलिस अधिकारी ने निधि से प्रेस कार्ड माँगा, उन्होंने अपना प्रेस कार्ड दिखाया तो पुलिस अधिकारी ने कहा- यह कार्ड नहीं चलेगा, कोई नेशनल ऑथराइज्‍़ड यानी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रेस कार्ड हो तो उसे जाने दिया जाएगा.

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किसान दिवस पर एक वक्त का अन्नत्याग, इतवार को ‘मन की बात’ के दौरान थाली बजाओ: BKU

किसान नेता जगजीत सिंह दल्‍लेवाला ने कहा कि आगामी 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ शुरू करें, सभी देशवासी अपने-अपने घरों में थाली बजाना शुरू करें, जब तक वे बोलते रहें तब तक बजाते रहें.

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राग दरबारी: प्रधानमंत्री का ‘मन’ किसके साथ है?

प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार कुल मिलाकर किसानों के लिए जो तीन कानून संसद द्वारा बनाए गए हैं उससे किसानों को बहुत लाभ मिल रहा है, जिसका जीता-जागता उदाहरण जितेन्द्र भोई हैं। इसी जितेन्द्र भोई की कहानी का खुलासा 4 दिसंबर के दैनिक भास्कर ने किया है।

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‘मन की बात’ में कृषि कानूनों की सराहना दिखाती है कि सरकार समस्या को हल नहीं करना चाहती: AIKSCC

एआईकेएससीसी वर्किंग ग्रुप ने किसान संगठनों के चिंतन की स्पष्टता की सराहना की है और भारत सरकार से पुनः अपील की है कि इस समस्या को कानून व्यवस्था की समस्या के रूप में न देखें और इसमें गुप्तचर विभागों और गृहमंत्रालय को शामिल न करें।

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पॉलिटिकली Incorrect: लेनिन की किताब के उस मुड़े हुए पन्‍ने में अटकी देश की जवानी

जिस अनुपात में भारतीय अर्थव्यवस्था मिस-मैनेज हो रही है, हो सकता है कि आने वाले दिनों में किसी 15 अगस्त या 26 जनवरी को मोदी, बिड़ला की जागीर हो चुके लाल किले की प्राचीर से भगत सिंह को ‘टीम वर्क’ का गुरु घोषित कर दें और शहीदे आज़म भगत सिंह सरकारी कार्यालयों में मैनेजमेंट गुरू के फ्रेम में दिखना शुरू हो जाएं।

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भूखे-नंगे देश में पोषण पर क्विज़ और मीम?

पांच साल से कम आयु वर्ग के बच्चों की मौत में हम विश्व में पहले स्थान पर हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ‘मन की बात’ में पोषण पर क्विज़ और मीम प्रतियोगिता कराने में व्यस्त और खुद पर मंत्रमुग्ध हैं।

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बात बोलेगी: मन की बात या एकालाप?

इस व्यक्ति के मन में ऐसा क्या आता है जिसे वो आपको हर दो महीने में सुनाना चाहता है जबकि हर समय इसी व्यक्ति को देश की जनता अलग-अलग चैनलों पर भर दिन सुनते रहने को अभिशप्त है।

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