उत्तर प्रदेश कांग्रेस की वर्तमान समस्या: मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की…

उत्तर प्रदेश कांग्रेस की वर्तमान स्थिति और समस्याओं की पड़ताल कर रहे हैं सौरभ बाजपेयी

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राजनीतिक रूप से क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है भारत की सिविल सोसायटी?

सिविल सोसायटी को यदि प्रासंगिक बने रहना है तो वह अपने अ-राजनीतिकरण के सवाल से खुद जूझे।

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मनीषा के बहाने एक देश की सम्प्रभुता को ठेंगा दिखाने वाले शासक वर्ग के पिट्ठू पत्रकार

किसी चैनल पर तर्कपूर्ण ढंग से यह देखने को नहीं मिला कि कालापानी, लिपुलेक विवाद वस्तुत: क्या है

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तानाशाही सत्ता में गिटार बजाने की आज़ादी के लिए हेलिन-इब्राहीम ने अपनी जान दे दी…

एर्दोआन की बर्बर हुक़ूमत ने इस बैंड पर इसलिए प्रतिबन्ध लगा दिया गया था क्योंकि वे उसकी ज़ालिम और दकियानूस सत्ता का विरोध करते थे और समाजवाद और मज़दूर वर्ग के गीत गाते थे।

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पहला पत्रकार कोरोना का शिकार, बाकी की गृहस्थी तबाह कर रहे अख़बार और सरकार

पंकज कुलश्रेष्ठ की मौत कोरोना से होने वाली देश में पहले पत्रकार की मौत है। कोरोना महामारी के चक्कर में जिस तरीके से दूसरी बीमारियों और पुराने रोगों की उपेक्षा की जा रही है, उसके चलते मौतें ज्यादा हो रही हैं।

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बनारस से लेकर दिल्ली तक सब ने कहा- तुम्हें इस तरह तो न जाना था, रिज़वाना!

कमरे में एक संक्षिप्त सुसाइड नोट भी बरामद हुआ जिस पर लिखा था, “शमीम नोमानी जिम्मेदार है”। पुलिस ने यह सुसाइड नोट, रिज़वाना का लैपटॉप और मोबाइल ज़ब्त कर लिया।

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