COVID-19 संकट पर नोबेल विजेता अभिजित बनर्जी से राहुल गांधी की बातचीत यहां पढ़ें

जहाँ तक गरीबी का सवाल है, मैं स्पष्ट नहीं हूँ कि अगर अर्थव्यवस्था में सुधार होता है, तो गरीबी पर इसका प्रभाव पड़ेगा। वास्तविक चिंताएँ हैं- क्या अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित होगी और विशेष रूप से, कोई इस प्रक्रिया के माध्यम से इस महामारी के संभावित समय के बारे में कैसे सोचता है।

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इंदौरः COVID-19 का साम्प्रदायीकरण रोकने के लिए प्रलेस के सचिव ने लिखा शासन को पत्र

इंदौर में क्वारंटाइन सेन्टर की हालत ये है कि 16 अप्रैल 2020 के पत्रिका अख़बार में 5 मरीजों के क्वारंटाइन सेंटर से भागने की ख़बर छपी है।

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काशी की इस सामुदायिक रसोई में पक रहा है सामाजिक और जातिगत सौहार्द का पकवान

आज रोज़ दो टाइम तीन तीन सौ खाने के पैकेट तैयार किए जा रहे हैं और गरीब, दलित, पिछड़ों के घर घर भेजे जा रहे हैं। आगे की योजना और दिलचस्प है। न्यास अब लॉकडाउन से पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर काउंसलिंग का काम शुरू करने वाला है।

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कोरोना वायरस की आड़ में बुनियादी रूप से बदल चुका पैसे का खेल समझें

यदि केंद्रीय बैंक ने बहुत सारा धन पैदा किया है इसे तंत्र में धकेल भी दिया है, बावजूद इसके किसी की आय नहीं बढ़ी, तो सारा पैसा गया कहां?

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वायरस बनाम इंसानियत की जंग में चिकित्सा पद्धतियों के प्रति पूर्वाग्रह सबसे बड़ा दुश्मन है!

कोरोना वायरस महामारी के वैश्विक संकट के दौर में होमियोपैथी को याद करना न केवल प्रासंगिक है बल्कि यह आज के दौर की एक महत्वपूर्ण ज़रूरत भी है। चिकित्सा विज्ञान …

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कोरोना वायरस से क्यों कांप रही है दुनिया?

कोरोना वायरस का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। दुनिया का कोना-कोना अब कोरोना से वाकिफ़ है। वैश्वीकरण यहाँ साफ तौर पर साकार दिखता है। बीमारी, बीमारी की …

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