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फारवर्ड प्रेस के नाम को और कितना गंदा करोगे प्रधान संपादक?
जुन्हाई ने जो ईमेल मुझे भेजा है उसमें उन्होंने अपनी व्यथा को विस्तार से बताया है कि किस प्रकार से पिछले एक साल से आप लोगों ने उनका और उनके परिवार का जीवन नरक बना रखा है। उनके कुछ मित्रों ने भी इस सम्बन्ध में मुझसे सम्पर्क कर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। पिछले एक सप्ताह में इस सम्बन्ध में जो बातें मेरे सामने आयी हैं, उनसे बहुत आश्चर्यचकित तो नहीं हूं, सिर्फ़ यह सोच रहा हूं कि आप लोग कितना नीचे गिरेंगे?
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