काकुत्स्थ पर कुब्जा हावी है! शास्त्र को प्रक्षिप्त कहने वाले विक्षिप्त हैं!

जिस तरह मनुष्य ध्यान लगाने में असफल होने पर योग विज्ञान अथवा योगशिक्षा पर लांछन लगाते हैं, उसी प्रकार शास्त्र को नहीं जानने पर विक्षिप्त महत्वाकांक्षी मूढ़ उसे प्रक्षिप्त घोषित कर देते हैं। शास्त्र को प्रक्षिप्त वही घोषित करते हैं जिन्हें अंधविश्वास घेरे हुए है।

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तराजू और तलवार साथ रखने की अर्थनीति

सरकार को चाहिए कि उद्योगपतियों को प्रोत्साहन दे, न कि अमर्यादित सहायता, अन्यथा क्रॉनी कैपिटलिज्‍म (याराना पूंजीवाद) नाम का राक्षस सत्ता को निगल जाएगा। यह पूंजीवाद स्वतंत्र मीडिया, निष्पक्ष न्यायपालिका, मूर्ख और कम पढ़े लिखे की सत्ता में भागीदारी, सभी को लील लेगा क्योंकि याराना पूंजीवाद कभी लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता है और न ही वह किसी कानून को मानता है।

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जब सरकार खुद समस्या बन जाए तो समाधान क्या हो?

“सरकार हमारी समस्याओं का समाधान नहीं है, सरकार ही समस्या है”- अमेरिका के राष्ट्रपति रहे रॉनल्ड रीगन के इस प्रसिद्ध कथन से राजनीतिशास्त्र के छात्र भलीभाँति परिचित होंगे। रीगन से …

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भ्रष्टाचार का इतिहास गवाह है कि राहुल गांधी भी अंततः पाक-साफ निकल आएंगे!

पांचवीं बार प्रवर्तन निदेशालय के पास पूछताछ के लिए तलब किए गए राहुल गांधी के साथ आज जो हो रहा है, वह भारतीय राजनीति में कुछ नया नहीं है। इंदिरा गांधी ने भी यही सब झेला था। हरियाणा के कद्दावर मुख्‍यमंत्री रहे बंसीलाल को तो जनता पार्टी सरकार हथकड़ी लगा कर सड़क पर घसीटती हुई ले गयी थी।

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बुलडोजर संस्कृति का राजनीतिक अर्थशास्त्र और असमानता की जटिल गुत्थी

जब असमानता को समझना इतना जटिल है तो उसे अपने सत्ता सुख के लिए बढ़ाना कहां से न्यायोचित है? यह देश ऐसा है जहां दो समुदायों के बीच द्वेष न हो इसलिए शिव ने हलाहल पान किया है। जिसे हम सुप्रीम सैक्रिफाइस कहते हैं वह महादेव ने किया। क्या हम उनके बलिदान को व्यर्थ जाने देंगे? मत भूलिए, इन्‍हीं सत्तानवीसों से मुक्ति के लिए कृष्ण ने इंद्र पूजा पर रोक लगायी और लोकतंत्र की स्थापना की थी। आप कृष्ण भक्त होकर कृष्ण का तिरस्कार मत कीजिए।

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राम को पूजने के लिए आपको खुद पुरुषोत्तम होना होगा अर्थात अज्ञान से निकलना होगा…

कोई कर्म करने से पहले अपने ह्रदय में भगवान श्रीराम को विराजमान करिए। यहां पर भगवान श्रीराम हृदय में एक छोटे स्वरूप में आए। वहीं पर कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने अपने विराट स्वरूप का दर्शन करवाया जिसमें समस्त ब्रह्मांड उनके भीतर था। इसलिए यह जिज्ञासा कभी होनी ही नहीं चाहिए कि यह ब्रह्म कौन है। ‘अहम् ब्रह्मास्मि’- यह बात ही सर्वथा सत्य है कि आप स्वयं में ही ब्रह्म हैं।

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खैरात का राजनीतिक अर्थशास्त्र और उसमें छुपा जनता की गुलामी का सूत्र

ली क्वान यु ने बिजली या पानी बिल माफ़ करने के बदले लोगों की बचत को उनकी कमाई का 45 फीसदी तक कर दिया जिसका फल यह निकला कि सिंगापुर में लोग कार्य करने के लिए प्रेरित हो रहे थे। वहीँ मलेशिया अपनी मलय संस्कृति को लेकर अँधेरे और गरीबी की गर्त में डूबता गया।

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खज़ाना खाली हो चुका है, क्या नौ लाख करोड़ रुपये की मुद्रा छापेगी सरकार?

अमेरिकी सरकार की एजेंसी USAID ने कहा है कि वह भारत को 2.9 मिलियन डॉलर देगी, वहीं वर्ल्ड बैंक ने मात्र 1 बिलियन डॉलर देने की बात्त कही है!

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कोरोना आर्थिक पैकेज की सीमाएं और कुछ कारगर तात्कालिक उपाय

एक करोड़ रुपये से ऊपर की कुल योग्य आय वाले कॉर्पोरेट की आयकर दर को 38% तक बढ़ा दिया जाना चाहिए

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