जल संकट: खेत सूख रहे हैं और लोग आर्सेनिक का पानी पी रहे हैं!

राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और कुछ दक्षिण के राज्य तो पहले भी पानी की समस्या से जूझ रहे थे लेकिन अब बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश भी पानी के संकट से जूझने वाले राज्यों में शामिल हो चुके हैं। यूं तो कहने के लिए इन राज्यों में गंगा और नर्मदा जैसी नदियां बह रही हैं पर इनके किनारे पर ही संकट ज्यादा है।

Read More

नये श्रम कानूनों के खिलाफ मजदूरों की आवाज क्या सरकार के कान में पड़ रही है?

हरियाणा श्रम मसौदा 2021 जो कायदे से अक्टूबर 2021 में लागू होना चाहिए था पर कुछ माह रुक कर उसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। सरकार ने मसौदा पेश करते हुए कहा कि इससे मजदूरों के हितों की रक्षा होगी, वे ज्यादा कमाई कर सकेंगे, उनका रोजगार सुरक्षित होगा। कुल मिलाकर वही झुनझुने बजाए जा रहे हैं जो कृषि कानून लाते समय बजाए गए थे। दिक्कत ये है कि जब से मसौदे की बारीकियां श्रमिकों के कानों में पड़नी शुरू हुई हैं तब से बस विरोध हो रहा है।

Read More

हम ‘दिवस’ मना रहे हैं, हमारे शिक्षक मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं, ठेला लगा रहे हैं!

सरकारी और बड़े गैर-सरकारी स्कूलों के शिक्षक और छात्र दोनों डिजिटल हो चले थे, लेकिन छोटे गैर-सरकारी स्कूल और कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले शिक्षक की वैसी किस्मत नहीं थी। राज्य सरकारें स्कूल खोलने का आदेश दे चुकी हैं पर कोरोना की मार ने कई स्कूलों को हमेशा के लिए बंद कर दिया है। इसके साथ ही लाखों शिक्षक बेरोजगार हो चुके हैं। आप यकीन नहीं करेंगे कि खुद को और परिवार को जिंदा रखने के लिए वे कितनी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।

Read More

पढ़ने-खेलने की उम्र में मजदूरी करने को अभिशप्त हैं कोरोना-काल की लाखों अभागी संतानें!

पिछले दो दशक में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में बाल मजदूरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। दुनिया भर में बाल मजदूरों की संख्या 152 मिलियन से 160 मिलियन पर पहुँच चुकी है।

Read More

बंद सामुदायिक रसोइयों, भ्रष्ट PDS और गहराती भुखमरी के आईने में मुफ़्त राशन का सरकारी वादा

दिवाली तक 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्‍ध करवाने की प्रधानमंत्री की घोषणा की ज़मीनी हकीकत बहुत जुदा है। अगर लोगों को निशुल्क राशन और कम्युनिटी किचन जैसी सुविधाएं मिल पा रही होतीं तो ग्राउंड से वो आवाजें नहीं आती जो मोबाइलवाणी तक पहुंच रही हैं।

Read More

क्या तीसरी लहर से पहले खुल पाएंगे ग्रामीण PHC और CHC में लटके ताले?

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर नहीं है, वहां मरीजों को ठीक से इलाज नहीं मिल रहा है। जो लोग गरीब हैं वो शहरों में जाकर इलाज नहीं करवा पा रहे हैं। ऐसे में उनके पास एक ही चारा है झोलाझाप डॉक्टर। गांव के गरीब परिवारों का इलाज तो इन्हीं के भरोसे है। कोरोना के दौरान गांव में जैसे हालात बन रहे हैं, उसके दबाव में कोई इन झोलाझाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं कर सकता।

Read More

जुलाई तक कैसे पूरी हो पाएगी 25 करोड़ आबादी के टीकाकरण की योजना

कोरोना की दूसरी लहर में जहां सबसे बुरे हालात गांव में बने वही हालात फिर से टीकाकरण के दौरान बन रहे हैं। इसके पीछे सरकार की वो प्रक्रिया है, जिस पर चलते हुए टीकाकरण केन्द्र तक पहुंचा जा सकता है। यह प्रक्रिया ही इतनी जटिल है कि आम आदमी टीका लगवाने के बजाय घर में दुबके बैठे रहने को ही एकमात्र रास्ता समझ रहा है।

Read More

मेरा मुखिया कैसा हो? पंचायत चुनावों के मुहाने पर खड़ी हिन्दी पट्टी से जमीनी आवाज़ें

पंचायत चुनावों को निचले दर्जे का समझना भूल हो सकती है। आखिर ये ग्रामीण समझ और ग्रामीण विकास का मामला है। इस बार लगता है कि बात कुछ और होगी क्योंकि ग्रामीण जनता पिछले चुनावों से काफी सबक ले चुकी है। इस बार वे ये नहीं चाहते कि कोई भी आए और मुखिया का पद संभाल ले। इस बार जनता चाहती है कि उनका मुखिया ऐसा हो जो साक्षर हो, जनता को समान दृष्टि से देखता हो, भेदभाव कम करता हो, स्थानीय स्तर पर रोज़गार और दूसरी योजनाओं के क्रियान्वयन में जनता की भागीदारी और सबसे अहम् ग्रामसभा और समितियों के संचालन और ग्रामीणों को आ रही समस्याओं के समाधान की पहल करने योग्य हो। लोग ऐसे ही प्रत्‍याशियों को अपना समर्थन देंगे।

Read More

यह आम बजट नहीं, औद्योगिक घराना स्पेशल बजट है! मोबाइलवाणी पर ग्राउन्ड से जनता की राय

जब वित्त मंत्री ने बजट का पिटारा खोला तो गरीब और मध्यम वर्ग के चेहरे पर मायूसी छा गई. सरकार ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बजट से 45 फीसदी से ज्यादा कटौती कर ली है.

Read More

कम मजदूरी और स्वास्थ्य जोखिमों के बीच झूलते बीड़ी श्रमिक

बीड़ी बनाने का काम आमतौर पर पिछड़े क्षेत्रों के गरीब परिवार करते हैं. यानि जहां स्थाई रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे मामले में लगभग हर राज्य के पिछड़े जिले शामिल हैं. बीड़ी बनाने का काम करने वालों में महिलाओं की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है. सही मायनों में कहें तो इस उद्योग की नींव ही महिला मजदूर हैं.

Read More