
नागार्जुन की कविता का भावलोक
जो लोग राजनीति और साहित्य में सुविधा के सहारे जीते हैं वे दुविधा की भाषा बोलते हैं। नागार्जुन की दृष्टि में कोई दुविधा नहीं है। यही कारण है कि खतरनाक सच साफ बोलने का वे खतरा उठाते हैं।
Read MoreJunputh
जो लोग राजनीति और साहित्य में सुविधा के सहारे जीते हैं वे दुविधा की भाषा बोलते हैं। नागार्जुन की दृष्टि में कोई दुविधा नहीं है। यही कारण है कि खतरनाक सच साफ बोलने का वे खतरा उठाते हैं।
Read Moreमेरठ शहर से शुरू हुई क्रांति गांवों तक पहुंच गई थी। सभी अंग्रेजों के खिलाफ उठ खड़े हुए। मेरठ-बागपत जिलों की सीमा पर हिंडन नदी पुल और बागपत में यमुना नदी पुल को क्रांतिकारियों ने तोड़ दिया था। अंग्रेजों से संबंधित जो भी दफ्तर, कोर्ट, आवास व अन्य स्थल थे, वह फूंक डाले थे।
Read Moreटैगोर की विलक्षण प्रतिभा से नाटक और नृत्य नाटिकाएं भी अछूती नहीं रहीं। वह बंगला में वास्तविक लघुकथाएं लिखने वाले पहले व्यक्ति थे। अपनी इन लघुकथाओं में उन्होंने पहली बार रोजमर्रा की भाषा का इस्तेमाल किया और इस तरह साहित्य की इस विधा में औपचारिक साधु भाषा का प्रभाव कम हुआ।
Read Moreकम्युनिज्म को नाकाम ठहराने की ये सारी कोशिशें मजदूर वर्ग के जबर्दस्त डर से पैदा होती हैं। दुनिया भर के क्रांतिकारियों ने रूस, चीन, कोरिया, वियतनाम, क्यूबा और तमाम दूसरे देशों में यह दिखा दिया है कि पूंजीवादी राज सुरक्षित नहीं है। मजदूर जीत सकते हैं।
Read Moreउनके दलित वर्ग के एक सम्मेलन के दौरान दिये गये भाषण ने कोल्हापुर राय के स्थानीय शासक शाहू चतुर्थ को बहुत प्रभावित किया, जिनका आंबेडकर के साथ भोजन करना रूढ़िवादी समाज में हलचल मचा गया।
Read Moreउनको विश्वास था कि छोटी जातियों के लोग सामाजिक समानता के लिए अवश्य संघर्ष करेंगे। ज्योतिबा की तरह और भी वयस्क लोग थे लेकिन ज्योतिबा के पास जो साहस और संकल्प था वह और किसी के पास नहीं था। 21 वर्ष की आयु में ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र को एक नये ढंग का नेतृत्व दिया।
Read Moreश्रम के स्थान पर पूँजी की मात्रा बढ़ाकर उत्पादन उसी सफलता से चलाया जा सकता है। हाथ से लिखने के स्थान पर कम्प्यूटर के प्रयोग द्वारा अधिक छपाई की जा सकती है। इसलिए श्रमिकों की संख्या कम करके कम्प्यूटर के रूप में पूँजी का अनुपात बढ़ाकर उत्पादन चलाया जा सकता हैं। अब रोबोट का इस्तेमाल भी विभिन्न सेवाओं और उत्पादन क्रियाओं मे़ किया जाने लगा है। आज यह उन्नत प्रौद्योगिकीय पूंजीवाद का मूल सिद्धांत है।
Read Moreवह कहते थे कि अपनी शर्तों पर जीवन जीने के कारण मैं दिल्ली में एक गुमनाम साहित्यकार बनकर रह गया क्योंकि मैंने कभी किसी की चापलूसी नहीं की, सिर्फ अपने मन की करता था। वे घुमक्कड़ प्रवृत्ति के थे। उनका जन्म काशी में हुआ और आशियाना राजधानी दिल्ली में बनाया। उन्होंने अपनी शर्तों पर बनारस से दिल्ली तक का सफर तय किया था।
Read Moreइत्तफ़ाक ही है कि साहिर का जन्म भी 8 मार्च को महिला दिवस के दिन ही हुआ। साहिर की शायरी और गीत सुनकर ऐसा लगता है मानो वो स्त्री मन को इस क़दर समझते थे कि गीत लिखते हुए वो ख़ुद औरत हुए जाते हों। एक सेक्स वर्कर से लेकर माँ से लेकर महबूबा तक उन्होंने हर औरत की दास्तां उनके नज़रिए से बयां की है।
Read Moreकुछ सीधे आपराधिक मामलों को छोड़ दें तो न्याय और अन्याय की पहचान का मामला बड़ा जटिल है। कई बार तो उलझन खड़ी हो जाती है। जो बात किसी खास संदर्भ में न्याय लगती है, संदर्भ बदलते ही वह अन्याय प्रतीत होने लगती है।
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