प्रेस स्वतंत्रता दिवसः नौ महीने से लॉकडाउन कश्मीर के आईने में अभिव्यक्ति की आज़ादी का भयावह सच

हाल ही में जारी 180 देशों के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 में भारत 142वें स्थान पर पहुँच गया है, जबकि बीते वर्ष भारत इस सूचकांक में 140वें स्थान पर था।

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COVID-19: भूख का समंदर और बदलती दुनिया के संकेत

देश की सभी सरकारों को चाहिए कि वे देश के सभी इंजन व इसके थक चुके कलपुर्जे, निजी हस्पतालों का फ़ौरन राष्ट्रीयकरण कर इस राष्ट्रीय आपदा के समय हुकूमत चुनाव प्रचार स्टाइल से बचकर टीम इण्डिया बनकर काम करें

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घर लौटा प्रवासी मजदूर इज्ज़त के साथ अपने गांव में कैसे टिके और परिवार पाले? कुछ कारगर सुझाव

इन्हें इंसाफ की झलक भर दिखलाने का इकलौता तरीका यह है कि उच्च/सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके सरकार को सड़क पर फंसे लोगों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की जाए।

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मजदूरों का झंडा सफेद से लाल कब और कैसे हुआ?

मजदूरों ने अपने खून से लथपथ कपड़ों को अपनी बस्तियों में घरों के आगे व खिड़कियों पर टांग दिया था। इससे पूरी बस्ती लाल झंडे से शराबोर दिखाई देने लगी। और यहीं से पूरी दुनिया में लाल रंग, लाल झंडा और लाल सलाम हिंसक कार्यवाहियों, दमन व शोषण के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गया।

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मजदूरों के बाद अब कॉरपोरेट, मध्यवर्ग और पैसेवाले भी कहीं सड़क पर न उतर आवें!

अगर लॉकडाउन ही अंतिम सच बनता जाएगा तो खाए-पीए अघाए मिडिल क्लास से लेकर हाइ नेटवर्थ इंडीविजुअल्स से लेकर कॉरपोरेट-उद्योगपति भी सड़कों पर उतर आएंगे

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मई दिवस पर बाबासाहेब अम्बेडकर को याद करना क्यों ज़रूरी है

बाबासाहेब अम्बेडकर के द्वारा मज़दूरों के लिए किए गए योगदान को उनके सड़क से लेकर संसद तक के संघर्षो से ही नहीं बल्कि उनके राज्य विधायिका से लेकर संविधान सभा के संसदीय भाषणों से भी समझा जा सकता है।

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कोरोना और पूंजीवाद के दौर में काम और कामगार

भारत में पहली बार मजदूर दिवस पहली मई, 1923 को ‘मद्रास’ में ‘मलयपुरम सिंगरावेलु चेट्टियार’ के नेतृत्व में मनाया गया। एम. सिंगारवेलु ने उसी दिन मजदूर संघ के रूप में ‘लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान’ की स्थापना की। इस दिन भारत में पहली बार ‘लाल झंडा’ भी इस्तेमाल किया गया।

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काफ़िरोफोबिया: इस्लामोफ़ोबिया के आरोप के खिलाफ़ RSS की राजनीति का नया औज़ार

हिंदुत्व की ताकतों ने ‘हिन्दूफोबिया’ और ‘काफिरोफोबिया’ जैसे शब्द गढ़ लिए हैं जिनका इस्तेमाल वह एक “शस्त्र” की तरह कर रही हैं!

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वर्धाः खराब खाने की शिकायत पर विश्वविद्यालय ने छात्रा से लिया माफ़ीनामा, ABVP को उजागर कर दी पहचान

विश्वविद्यालय के करीब 200 छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जो लॉकडाउन की वजह से परिसर में ही फंस कर रह गये

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कोरोना से उपजे आर्थिक संकट पर राहुल गांधी और रघुराम राजन के बीच हुई पूरी बातचीत यहां पढ़ें

कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस दौर में कुछ जानकारों के साथ कुछ विशिष्ट विषयों पर वीडियो चर्चा शुरू की है। इस कड़ी में उन्होंने विश्व के जानेमाने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से आधे घंटे की बातचीत की जिसे विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर लाइव स्ट्रीम किया गया।

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