मोहब्बत, इंसानियत और खुलूस के अधूरे सपने का नाम है कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी का मानना था कि शायरी और कविता का इस्तेमाल समाज में बदलाव लाने वाले हथियार के रूप में होना चाहिए
Read MoreJunputh
कैफ़ी का मानना था कि शायरी और कविता का इस्तेमाल समाज में बदलाव लाने वाले हथियार के रूप में होना चाहिए
Read Moreबंधुत्व को बढ़ावा दिए बगैर हमारे देश में प्रजातंत्र जिंदा नहीं रह सकेगा. हमें यह भी याद रखना चाहिए कि अगर अल्पसंख्यकों का दानवीकरण रोका नहीं गया तो यह नफरत हमें किसी दिन हिंसा के ऐसे दावानल में झोंक देगी, जिसमें हमारा बुरी तरह से झुलसना अपरिहार्य होगा.
Read Moreअप्रैल के महीने के लिए बेरोजगारी की दर मार्च के अंत में 8.74% से 23.52% तक बढ़ गई, जो कोरोनावायरस के कारण राष्ट्रीय लॉकडाउन में केवल दो सप्ताह थी।
Read Moreबिहार का पुलिस-प्रशासन क्वारंटीन केन्द्रों में व्याप्त अनियमितता की सच्चाई को छिपाने की कितनी भी कोशिश क्यों ना करे, लेकिन इन अनियमितताओं का विरोध करने पर मजदूर के टूटे हाथ और शरीर पर लाठियों के निशान की तस्वीर सच बयां कर ही देती है।
Read Moreनाकारा सरकार और अमानवीय प्रशासनिक अमले के लिए मजदूर अब भी सिर्फ एक संख्या ही रहेंगे। इसके बाद भी वह उनके लिए कुछ करने वाले नहीं हैं।
Read Moreकोरोना महामारी ने हमारे समक्ष प्रवासी कामगारों के सम्बंध में कई यक्ष प्रश्न खड़े कर दिये हैं। इस पर विचार करने की तत्काल आवश्यकता है। सरकारों का उदासीन रवैया सिर्फ इस महामारी की उपज नहीं है।
Read Moreसभी धर्मों का उदय इस उद्देश्य से हुआ कि समाज को संतुलित व व्यवस्थित संस्था के रूप में रखने में मदद मिलेगी।
Read Moreविदेश से आना तो फिर भी इस अखंड राष्ट्रवादी सरकार ने आसान कर दिया है लेकिन अपने ही देश में अपने ही घर लौटना सबसे ज़्यादा मुश्किल बना दिया गया है।
Read Moreसवाल है कि आख़िर राज्य के हर संसाधन में नागरिक होने के कारण अपनी हिस्सेदारी के एहसास में कमी मुसलमानों में किन वजहों से आयी है? इसके लिए कौन राजनीतिक शक्तियाँ ज़िम्मेदार हैं?
Read Moreट्रोजन हॉर्स बनाये कौन? बन भी जाये तो हर खेमे में पलटू राम जैसे कई नेता हैं। फिर ये सारा खर्च उठाये कौन? वो भी तब, जब सारे धन का आभूषण पहने हाथी बैठा इठला रहा है।
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