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हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के विलक्षण पैरोकार काजी नज़रुल इस्लाम
नज़रुल के जीवनदर्शन और प्रतिभा से 20वीं शताब्दी के प्रथमार्द्ध में साहित्य और संगीत के मेलजोल से एक नए इतिहास की रचना का मार्ग प्रशस्त हुआ। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों ही जगह उनकी कविता और गीतों की बृहत व्याप्ति है।
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