बनारस: व्यापारी नेता ने CM से भ्रष्टाचार की शिकायत की तो DM क्यों बुरा मान गये?

बनारस भर के व्यापारि‍क संगठनों के पदाधिकारियों ने 26 अगस्‍त को कमिश्नर कार्यालय में पत्रक देकर इस विवाद को सुलझाने की मांग की है।

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ठंडे पड़े बनारस के डॉक्टर तो गरमायी यूनियन, ACMO की लाश बदले जाने की जांच करेगी कमेटी

चिकित्सा विभाग में किसी तरह चिकित्सकों को मना तो लिया गया, लेकिन मेडिकल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर चिकित्सकों के साथ हो रहे अन्याय की सुध लेने की गुहार लगायी है।

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दक्षिणावर्त: प्रवासी नेपाली का सिर मूंडने वाले चिंदीचोर और तोगड़ि‍या का सबक

हिंदुओं के किसी भी धर्मग्रंथ में किसी भी व्यक्ति को जबरन धर्मांतरित करने, हिंसा करने या भगवान के नाम पर लूटमार करने की कोई भी बात नहीं लिखी गयी है। यह भीड़ जो हिंसा करती है, इस वक्त के ब्लॉगजीवी/क्षणजीवी समय में सुर्खियों में आने की, उसकी कवायद भले पूरी हो जाती है, लेकिन वह हिंदुओं का कितना बड़ा नुकसान कर जाते हैं, यह उनको पता ही नहीं है।

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BHU में लगे ‘कम्युनिस्टों का प्रवेश वर्जित है’ वाले पोस्टर, ‘विश्व हिन्दू सेना’ की हरकतों से तनाव में बनारस

इस स्वयंभू गिरोह ने 25 जून 2020 को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गोदौलिया, वाराणसी स्थित जिला कार्यालय पर विवादित और भावना भड़काने वाला पोस्टर लगा दिया। इससे सभी शांतिप्रिय और सभ्य नागरिकों को भावनात्मक चोट पहुंची। यह खबर उसने स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित कराई और सोशल मीडिया पर वायरल कराई। ज्ञात होने पर भाकपा और अन्य वामपंथी दलों के जिले के पदाधिकारियों ने 29 जून को जिला प्रशासन को लिखित शिकायत की।

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सोनभद्र के आदिवासी नरसंहार तक जाती हैं बनारस के मुसहरों के अंकरी कांड की जड़ें

बनारस के कोइरीपुर में मुसहर समुदाय की भूख के सवाल पर सरकार की खूब छीछालेदर हुई। लॉकडाउन के दौरान अंकरी प्रकरण को लेकर जिस वक्त विपक्ष, सत्तारूढ़ दल को घेरने …

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“अब कभी नहीं लौटेंगे, गांव में ही देखेंगे काम”: बनारस में छलका पुरबिया प्रवासियों का दर्द

वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र से गुजरने वाले वाराणसी-गाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर विगत रविवार से ही प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या दिख रही है

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बनारस की नगर वधुओं तक पहुंची राहत, दिवंगत रिज़वाना ने उठायी थी इनके लिए आवाज़

रिज़वाना की यह अपील थी की समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग को मदद मिले, जिसके बाद सेक्स वर्करों को कई संगठनों ने राशन, दवाएं, सेनिटरी नैपकिन और सेनिटाइजर्स उपलब्ध कराए

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क्या निजी और सामाजिक के उहापोह में फंस कर रिज़वाना ने ले ली अपनी जान?

रिज़वाना न सिर्फ पत्रकार थीं बल्कि अपनी पत्रकारिता के माध्यम से वंचित समुदायों की मदद भी करती थीं

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बनारस से लेकर दिल्ली तक सब ने कहा- तुम्हें इस तरह तो न जाना था, रिज़वाना!

कमरे में एक संक्षिप्त सुसाइड नोट भी बरामद हुआ जिस पर लिखा था, “शमीम नोमानी जिम्मेदार है”। पुलिस ने यह सुसाइड नोट, रिज़वाना का लैपटॉप और मोबाइल ज़ब्त कर लिया।

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