बंद पड़ा है सरकारी वजीफा, उधार लेकर घर चला रही है बनारस की अंतर्राष्ट्रीय रेसर


आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। अपनी प्रतिभा के बल पर गांवों और घर की चहारदीवारी से बाहर निकलने वाली वंचित और गरीब महिलाओं और उनके परिवार की हालत में आज भी कुछ ज्यादा सुधार नहीं हुआ है और ना ही हो रहा है। 36वें नेशनल जूनियर एथलिट्स चैंपियनशिप में 10000 मीटर रेस वॉक के अंडर-20 महिला वर्ग में नेशनल रिकॉर्ड बनाने वाली मुनीता प्रजापति और उनके परिवार की हालत भी कुछ ऐसी ही है। उनका छह सदस्यीय परिवार आज भी 8×12 वर्गफीट के एक कमरे में रहने के लिए मजबूर है। उनके पिता दिव्यांग मजदूर हैं जो बड़ी मुश्किल से परिवार का खर्च चला पा रहे हैं। पढ़िए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से यह विशेष रिपोर्ट – संपादक


खेलो इंडिया से 10 हजार रुपये महीना मिलता है। पिछले तीन महीने से वह भी नहीं मिला है। बाहर जाने पर पैसे की जरूरत होती है। दोस्तों से उधार लेकर किसी तरह से अपनी निजी जरूरतों को पूरा कर रही हूं।

मुनीता प्रजापति

यह कहना है 36वें नेशनल जूनियर एथलिट्स चैंपियनशिप में 10000 मीटर रेस वॉक के अंडर-20 महिला वर्ग में नेशनल रिकॉर्ड बनाने वाली मुनीता प्रजापति का। उन्होंने गत 9 फरवरी को गुवाहाटी स्थित इंदिरा गांधी एथलेटिक स्टेडियम में 47 मिनट 53.58 सेकंड में यह रिकॉर्ड अपने नाम किया था।

मुनीता मूल रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बढ़ैनी खुर्द गांव स्थित शाहबाजपुर मोहल्ले की रहने वाली हैं। वह भोपाल स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के उद्धव दास मेहता (भाईजी) केंद्रीय क्षेत्रीय केंद्र में रहकर रेस वॉक की कोचिंग ले रही हैं। वह वर्ष 2018 में 31 जनवरी से 8 फरवरी के बीच नई दिल्ली में भारत सरकार के ‘खेलो इंडिया कार्यक्रम’ के तहत आयोजित खेलो इंडिया स्कूल गेम्स में 3000 मीटर रेस वॉक में ‘खेलो इंडिया फेलोशिप’ के लिए चयनित हुई थीं। इसी के आधार पर उन्‍हें 2 जुलाई 2018 से हर महीने 10000 रुपये मिलते हैं जो पिछले तीन महीने से नहीं मिले हैं।

खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत सरकार का युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय 16 क्षेत्रों में तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बास्केटबाल, मुक्केबाजी, फुटबाल, जिमनास्टिक्स, हॉकी, जूडो, कबड्डी, खो-खो, निशानेबाजी, तैराकी, वॉलीबाल, भारोत्तोलन और कुश्‍ती में फेलोशिप प्रदान करता है।

खेलो इंडिया की अधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद सूचना के मुताबिक उच्च प्राधिकार समिति द्वारा अंडर-17 के चयनित खिलाड़ियों को खेल इंडिया कार्यक्रम के तहत पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से आठ साल तक वार्षिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर उच्च प्राधिकार समिति हर उनकी सूची जारी करती है। मौजूदा सत्र के लिए जारी सूची में भी मुनीता प्रजापति का नाम शामिल है। 

मुनीता मार्च 2019 में हांगकांग में आयोजित तीसरे एशियन यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी भाग ले चुकी हैं। 5000 मीटर रेस वॉक के बालिका वर्ग में इन्‍हें सातवां स्थान मिला था जिसे उन्‍होंने 25 मिनट 57.48 सेंकड में पूरा किया था। इसके अलावा भी वह राष्ट्रीय स्तर के 9 मेडल जीत चुकी हैं।

मुनीता केन्या की राजधानी नैरोबी में होने वाले वर्ल्ड जूनियर खेल प्रतियोगिता के लिए भी अपना स्थान सुरक्षित कर चुकी हैं। इसके बावजूद उनके परिवार की माली हालत सुधरती दिखाई नहीं दे रही है।


मुनीता के पिता बिरजू प्रजापति दिव्यांग मजदूर हैं। छह सदस्यीय परिवार के खर्चे की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है। वाराणसी कैंट से करीब 20 किलोमीटर दूर राजातालाब बाजार में जाकर मजदूरी करते हैं जो उनके गांव से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है। दिव्यांगता के बारे में पूछने पर वह बताते हैं:

मैं मुंबई में दिहाड़ी मजदूरी का काम कर रहा था। उसी दौरान मुझे बिजली का करंट लग गया। मेरा दाहिना हाथ और पैर पैरलाइज हो गया। इलाज के बाद मैं घर वापस आ गया। करीब छह साल से घर पर ही रह रहा हूं। महीने में करीब 10-15 दिनों की दिहाड़ी मजदूरी मिल जाती है, उसी से परिवार का खर्च चलाता हूं।

उनसे जब पूछा गया कि क्या आप मुनीता को पैसे देते थे तो उन्होंने साफ कहा कि नहीं, हालांकि उन्होंने कहा कि उसकी मां चोरी-चोरी उसे पैसे देती थी।

मुनीता बिरजू प्रजापति की तीसरी संतान हैं। उनकी दो बड़ी बहनें पूजा देवी और चंदा प्रजापति हैं। पूजा की शादी हो चुकी है। वह ससुराल में रहती हैं। आगामी 13 मई को चंदा की शादी होने वाली है। मुनीता की मां रासमनी प्रजापति से बेटी की शादी की तैयारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “अभी तैयारी नहीं हुई है। समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे शादी करेंगे। लॉक-डाउन की वजह से काम भी नहीं मिल रहा है। पहले मुनीता भी कुछ पैसे भेज देती थी लेकिन इधर बीच उसने भी पैसे नहीं भेजे हैं।”

रासमनी ने बताया कि मुनीता ने अपनी बड़ी बहन चंदा का बीए में प्रवेश कराने के लिए पैसे दिए थे। जब उनसे पूछा गया कि जब मुनीता भोपाल रहने के लिए चली गई तो क्या आप उसे पैसे भेजती थीं? जवाब में वह कहती हैं:

उसके पापा के चोरी-चोरी मैं उसे पैसे भेजती थी। पैसा नहीं होता था तो अपनी बहन से पैसे लेकर उसे भेजती थी लेकिन उसके लिए वह काफी नहीं था। जब उसे खेलो इंडिया से पैसा मिलने लगा तो उसने पैसा लेना बंद कर दिया।

मुनीता का एक छोटा भाई किशन प्रजापति है जो सातवीं कक्षा का छात्र है। खर्चे के बाबत रासमनी बताती हैं, “लॉक-डाउन के पहले खाली समय में मोती की माला बनाने का काम करती थी तो कुछ पैसे हाथ में आ जाते थे लेकिन लॉकडाउन के बाद वह भी काम मिलना बंद हो गया है। इससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। लड़के को भी हम लोग ठीक से नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो मुनीता को पैसे कहां से भेजेंगे?”

वह कहती हैं:

अखबारों में और टीवी पर मुनीता के रिकॉर्ड की खबर सुनी तो लगा कि सरकार की ओर से कुछ मदद मिल जाएगी लेकिन अभी तक कोई भी अधिकारी इसके बारे में हमसे संपर्क नहीं किया है। लखनऊ में जी चैनल वालों ने मुनीता को सम्मानित करने के लिए बुलाया था। हमें भी बुलाया था लेकिन वहां भी कोई सहायता नहीं मिली। उन लोगों ने हमसे बात तक नहीं की।

रासमनी, मुनीता की माँ

मुनीता के पिता बिरजू प्रजापति चार भाई हैं। सभी का एक पुश्‍तैनी मकान है। बंटवारे के बाद उसमें एक-एक कमरा चारों भाइयों को मिला है। इसी में उनका परिवार रहता है। बिरजू प्रजापति का छह सदस्यीय परिवार भी 8×12 वर्गफीट के कमरे में ही गुजारा करता है। मुनीता भोपाल से जब भी घर आती हैं तो उन्‍हें उसी कमरे में रहना पड़ता है। उनके पिता पास में ही आबादी की जमीन पर एक झोपड़ी लगाकर उसमें सोते हैं।

कृषि योग्य भूमि के बारे में पूछने पर बताते हैं, “करीब दो बिस्वा भूमि उनके हिस्से में है जिसमें थोड़ी बहुत सब्जी की खेती कर लेते हैं।” प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के बारे में पूछने पर कहते हैं, “हम लोगों ने कई बार ग्राम प्रधान से कहा लेकिन हमें आज तक आवास नहीं मिल पाया है।” उनकी पत्नी बताती हैं कि ग्राम प्रधान ने उनका शौचालय बनवाया है।

अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ की बात करें तो बिरजू प्रजापति को तीन महीने से दिव्यांग पेंशन मिल रहा है। उनके परिवार का राशन कार्ड है जिस पर लॉक-डाउन होने के बाद से उन्हें खाद्यान्न मिलने लगा है। मुनीता के मां रासमनी से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा:

हमने बहुत कोशिश की लेकिन उसके तहत हमें गैस कनेक्शन नहीं मिल पाया। फिर मैंने पांच हजार रुपये में एचपी कंपनी का सिंगल सिलेंडर कनेक्शन ले लिया। अब इसी पर हम खाना बनाते हैं। 


स्कूल के समय में रेस वॉक में भाग लेने की मुनिता की रुचि के बारे में पूछने पर रासमनी बताती हैं, “पड़ोस में रहने वाली रीना पहले गांव के मैदान में दौड़ने के लिए जाती थी। उसी ने मुनीता को दौड़ने के लिए कहा। फिर दोनों साथ-साथ दौड़ने जाने लगीं। फिर रीना ने दौड़ना छोड़ दिया लेकिन मुनीता दौड़ती रही और मेडल जीतती रही।”

रीना प्रजापति इस समय जन्तु विज्ञान में स्नातकोत्तर कर रही हैं। वह बताती हैं, “मैं पहले दौड़ने जाया करती थी। कभी-कभी मुनीता भी दौड़ने जाया करती थी। वह अच्छा दौड़ती थी, इसलिए मैंने उसे दौड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। शुरू में उसकी मां उसे भेजने के लिए तैयार नहीं थीं लेकिन समझाने के बाद वह तैयार हो गईं। जब मैं इंटर में पढ़ रही थी, तभी मेरे पैर में चोट लग गई और मैंने दौड़ना बंद कर दिया लेकिन मुनीता दौड़ती रही।”

मुनीता की सफलता के बारे में पूछने वह कहती हैं, “यह हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात है कि हमारे बीच से एक लड़की निकलकर देश-विदेश में पहचान बना रही है। मुझे भरोसा है कि वह और अच्छा खेलेगी। यह हमारे लिए भी गर्व की बात होगी।”

मुनीता की सफलता की खबर मीडिया में आऩे के बाद उसके परिवार से मिलने वालों लोगों को तांता लग गया है। मुनीता की मां बताती हैं कि पिछले एक महीने में बहुत लोग घर आ चुके हैं। इनमें राजनीतिक पार्टियों के लोग भी शामिल हैं।

आर्थिक सहायता के बारे में पूछने पर बताती हैं:

सरकार की ओर से अभी तक कोई भी सहायता नहीं मिली है। हमारे समाज के लोगों ने 21 हजार रुपये देकर सम्मानित किया है। एक राजनीतिक पार्टी के लोग भी आए थे, उन्होंने पांच हजार रुपये दिए थे। उनका नाम नहीं मालूम है।

बता दें कि प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) और प्रजापति अंतर्विश्वविद्यालयी विद्यार्थी (PIUS) समूह ने प्रखर समाज सुधारक संतराम बी.ए. के जन्मदिन (14 फरवरी) पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुनीता प्रजापति को 21000 रुपये से सम्मानित किया था। मुनीता प्रजापति की अनुपस्थिति में उनके माता-पिता को यह सम्मान भेंट किया गया था।

वहीं राजस्थान कुम्हार महासभा के प्रदेश अध्यक्ष किशोर दुल्हेपुरा मुनिता प्रजापति के घर जाकर उनके माता-पिता को 2100 रुपये चेक दिए थे। वह कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वाराणसी आए हुए थे। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव उर्फ लक्कड़ पहलवान मुनिता प्रजापति के घर जाकर पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान किए थे।


शिव दास बनारस स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं और वनांचल मीडिया के संपादक हैं। यह स्टोरी सबसे पहले वनांचल एक्सप्रेस पर प्रकाशित हुई है।


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