राष्ट्रीय संविधान दिवस के अवसर पर वर्तमान भारतीय परिवेश में संविधान के संरक्षण के उद्देश्य से वाराणसी के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने गुरुवार 26 नवम्बर को वरुणापुल स्थित शास्त्री घाट पर समारोह का आयोजन किया और ‘हमारा संविधान–हमारी विरासत’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में ऑल इंडिया सेकुलर फोरम के संयोजक डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि संविधान हमारे देश का आधुनिक मानव मूल्यों पर आधारित वह पहला लिखित दस्तावेज है जो हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों को विनियमित करता है। उन्होंने कहा कि इतिहास की गति को पीछे की ओर ले जाने वाली ताकतें आज संविधान की मूल आत्मा के साथ खिलवाड़ कर रही हैं और उसके स्थान पर प्रतिगामी मूल्यों को स्थापित करना चाहती हैं, जिसे इस देश के इंसाफपसंद नागरिक कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज कमजोर-वंचित तबकों और स्त्रियों के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय भी निशाने पर हैं, कभी लव-जिहाद के नाम पर तो कभी गोरक्षा के नाम पर मासूमों को निशाना बनाया जा रहा है। इसकी मूल वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि रसातल में जाती अर्थव्यवस्था और संसाधनों की पूँजीपतियों द्वारा लूट से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के प्रपंच रचे जा रहे हैं। सरकार जहां मजदूर अधिकारों को कुचलते हुए उनके खिलाफ तरह-तरह के कानून ला रही है वहीं खेती-किसानी को भी तबाह किया जा रहा है, जिससे कि कृषि क्षेत्र में बड़ी पूँजी के प्रवेश की राह को हमवार बनाया जा सके।
प्रेरणा कला मंच के कलाकारों के जागरण गीतों के द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। फादर आनंद ने स्वागत करते हुए कहा कि जब तक संविधान की उद्देशिका में उल्लिखित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व अमल में नहीं लाया जाएगा, लोकतंत्र सुरक्षित नहीं होगा। डॉ. लुइस प्रकाश ने विषय प्रवेश कराते हुए आज के दौर में संविधान को हो रहे खतरों के प्रति अवगत कराया और कहा कि देश को पंथनिरपेक्ष, समाजवादी, प्रगतिशील और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए लगातार जागरूक रहना होगा। सविधान के प्रावधानों को लागू नहीं करने से जो हानि वंचित वर्ग को होती है उसके बारे में दलित समूह के प्रतिनिधि श्रीमती शुभावती देवी, मजदूर वर्ग से सुरेन्द्र सिंह, महिलाओं की प्रतिनिधि डॉक्टर मुनीज़ा रफ़ीक खान, अल्पसंख्यक वर्ग के प्रतिनिधि डॉ. मोहम्मद आरिफ एवं अब्दुल्लाह गफ्फार और किसानों के प्रतिनिधि रामजनम ने भी अपनी अपनी व्यथा सुनायी।
इसके पश्चात हिन्दू, सिख, मुस्लिम, क्रिश्चियन और बौद्ध धर्मों के प्रतिनिधि के रूप में कबीर मूलगादी मठ कबीरचौरा के भाई डॉक्टर भागीरथ दास, हरहुआ ध्यानाश्रम के आचार्य फादर बेनेडिक्ट, हाजी सैयद फरमान हैदर करबलाई, एडवोकेट सरदार गुरिंदर सिंह, डॉ. नीति भाई आदि ने भारत के पवित्र संविधान के अनुसार व्यक्तिगत, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन बिताने की आवश्यकता पर बल दिया। सभा में संविधान की सुरक्षा के लिए ‘करो या मरो’ का आह्वान किया गया।
सभा की समाप्ति पर सभी लोग कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए देशरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास गए और अपने हाथ में जलती हुई मोमबत्ती के साथ संविधान की प्रस्तावना को दुहराते हुए उसके संरक्षण का संकल्प लिया। असदुल्लाह आज़मी ने सबको बधाई दी और डॉ. धनञ्जय त्रिपाठी के धन्यवाद ज्ञापन दिया| सच्चिदानंद ब्रह्मचारी के नेतृत्व में लोगों ने देशभक्ति और संविधान के सम्मान में नारे लगाए और इस तरह समारोह का समापन हुआ।
इस कार्यक्रम का आयोजन साझा संस्कृति मंच, आल इण्डिया सेक्युलर फोरम, अदब सराय, सी.आर. आई., फोरम फॉर जस्टिस एंड पीस, इंडियन क्रिश्चियंस फॉर डेमोक्रेसी, लोक चेतना समिति चिरईगाँव, विश्व ज्योति जनसंचार समिति आदि संगठनों ने मिलकर किया। इस अवसर पर फादर सी. एम. थॉमस, एडवोकेट सुरेन्द्र चरण, डॉक्टर जयंत रसल राज, प्रमोद पटेल, प्रवीण जोशी, फादर प्रेम एंथोनी, मुकेश झंझरवाला, अबू हाशिम, डॉक्टर एम. अकबर, हमारा मोर्चा के संपादक कामता प्रसाद, एडवोकेट प्रेम प्रकाश सिंह यादव, सिस्टर आशली, अर्पिता, कौसल्या, डॉ. नूर फातमा, सुधीर कुमार जायसवाल आदि उपस्थित थे।
सच्चिदानंद ब्रह्मचारी
जनसम्पर्क अधिकारी
साझा संस्कृति मंच
वाराणसी