आदिवासियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय के लिए राज्य की क्षमायाचना का वक्त कब आएगा?

आने वाले वर्षों में जब संकीर्ण राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के पैरोकार इन मासूम आदिवासियों के मन में ईसाई और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत का जहर भरने में कामयाब हो जाएंगे तब हम साम्प्रदायिकता और हिंसा के नये ठिकानों को रूपाकार लेता देखेंगे

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किनिर: आदिवासी अस्मिता पर प्रहार करने वाली नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाती कविता

कविता संग्रह की मूल अंतर्वस्तु ही जंगल को बचाने की है। कविता संग्रह के माध्यम से जंगल गाथा कहने में तनिक हिचकिचाहट नहीं दिखायी देती। ये कविताएं नये भावबोध से लैस हैं। यहां नया भावबोध का तात्पर्य यह भी है कि उनकी कविताएं किसी परंपरागत सौंदर्यशास्त्र के पैमाने के अनुसार न चलकर अपनी स्वयं की जमीन बनायी हैं।

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संक्रमण काल: इस देश में मौत की भी जाति होती है!

इस शोध से सामने आए तथ्यों से भारत में मौजूद भयावह सामाजिक असमानता उजागर होती है तथा हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे विकास की दिशा ठीक है। क्या सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के कथित कल्याण के लिए राज्य द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त हैं?

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हसदेव अरण्य बचाने के लिए आज राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन, संघर्ष समिति ने देशवासियों से की अपील

हसदेव अरण्य के समर्थन में 4 मई 2022 को देशव्यापी प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है। हम लोग आपके साथ हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की अपील साझा करते हुए आग्रह करते है कि आपके साथ जितने भी लोग हो सकें- आप पोस्टर या बैनर ले कर अपनी बात रख सकते है- फ़ोटो या वीडियो लेकर आप अपनी जगह से ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए इस सांकेतिक विरोध में अपना समर्थन दे सकते है।

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खंडवा: बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के बांध बना कर उजाड़ दिए आदिवासी परिवार

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा खंडवा जिले में बन रही आंवलिया मध्यम सिंचाई परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी की अर्जी का प्रकरण बंद कर इसे उल्लंघन परियोजना घोषित कर दिया है। इसके साथ ही बांध के निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी है। बांध का कार्य बगैर पर्यावरणीय स्वीकृति के 90 प्रतिशत हो चुका है।

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MP: वन मंत्री के गृहजिले में आदिवासियों पर वन विभाग का कहर, JADS ने दी आंदोलन की चेतावनी

जागृत आदिवासी दलित संगठन (JADS) ने इस मामले में जारी बयान में कहा है कि हमले के दौरान तीन नेगाँव निवासी और फिर इस कार्रवाई की वैधता पर सवाल करने वाले तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं को मारते हुए अपहरण कर 12 घंटों तक वन विकास निगम के कार्यालय में रखा गया। तीन व्यक्तियों के फोन भी वन अमले ने छीने, जो अभी भी नहीं लौटाये गये हैं।

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टीबी ने बढ़ाया आदिवासियों में कोरोना का खतरा, राष्ट्रीय औसत से भी अधिक आंकड़ा

भोपाल के एक चिकित्सा विषेशज्ञ नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहते हैं कि कोरोना और टीबी के लक्षण समान होने से भी गलफत हो जाती है। वे बतलाते हैं कि भारत में दुनिया के 26 फीसदी टीबी मरीज हैं जिनमें से अधिकांश आदिवासी अथवा खनन क्षेत्रों में पाए जाते हैं। कोरोना की दोनों लहरों ने इन मरीजों के इलाज और संदिग्‍ध मरीजों की पहचान को बुरी तरह प्रभावित किया है।

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आदिवासियों के लिए बिरसा भगवान क्यों हैं?

जिस समय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी सरकार के खिलाफ लोगों को एकजुट कर रहे थे, लगभग उसी समय भारत में बिरसा मुंडा अंगग्रेजों-शोषकों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ चुके थे। गांधी से लगभग छह साल छोटे बिरसा मुंडा का जीवन सिर्फ 25 साल का रहा।

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गोंडवाना रिपब्लिक के स्वप्नद्रष्टा हीरा सिंह मरकाम नहीं रहे, पढ़ें एक पुरानी बातचीत

हमारे समाज की पांच मुख्य समस्याएँ हैं। 1. भय 2. भूख 3. भ्रष्टाचार 4. भगवान व भाग्य और 5. भटकाव। ग्रंथ और गुरु के अभाव में सारा गोंडवाना भटक गया है। वैसे ग्रंथ तो कंगाली जी ने बहुत सारा लिख कर दे दिया। हमें लिंगो गुरु को स्थापित करके उनके कोया पुनेम दर्शन का प्रसार-प्रचार करना होगा।

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मौजूद नीतियों के चलते आदिवासियों की सभ्यता-संस्कृति का विलोपन एक अनिवार्य परिणति है!

अप्रैल से लेकर जून तक का समय माइनर फारेस्ट प्रोड्यूस (लघु वन उत्पाद) को एकत्रित करने का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। वर्ष भर एकत्रित होने वाले कुल एमएफपी का लगभग 60 प्रतिशत इसी अवधि में इकट्ठा किया जाता है किंतु दुर्भाग्य से कोविड-19 की रोकथाम के लिए लॉकडाउन भी इसी अवधि में लगाया गया।

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