कुपोषण से भुखमरी की ओर बढ़ता ‘न्यू इंडिया’!

वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम ने जून 2021 में कहा है कि भारत में कोविड-19 के कारण भूख और गरीबी का संकट भयावह रूप ले रहा है। वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम का सुझाव है कि तात्कालिक खाद्य आवश्यकता की पूर्ति और जीवनयापन के अवसर उपलब्ध कराना दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

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बंद सामुदायिक रसोइयों, भ्रष्ट PDS और गहराती भुखमरी के आईने में मुफ़्त राशन का सरकारी वादा

दिवाली तक 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्‍ध करवाने की प्रधानमंत्री की घोषणा की ज़मीनी हकीकत बहुत जुदा है। अगर लोगों को निशुल्क राशन और कम्युनिटी किचन जैसी सुविधाएं मिल पा रही होतीं तो ग्राउंड से वो आवाजें नहीं आती जो मोबाइलवाणी तक पहुंच रही हैं।

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बिखर गया संतोषी का परिवार, पांच साल पीछे चली गई लीलावती! लॉकडाउन की बरसी पर…

यह ऐसा समय था कि गांव के लोग किसी की भी मदद नहीं करते थे जबकि करोना से पहले गाँव में ऐसा नहीं होता था। लोग एक दूसरे की मदद बडे़ ही सरलता से करते थे, लेकिन यह करोना तो हम मजदूरों की स्थिति को एक दम से झकझोर दिया। हम गरीब मजदूर इस करोना की मार खाकर कम से कम पाँच साल पीछे हो गये।

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छान घोंट के: अमन के लिए भूख-कुपोषण के खिलाफ जारी संघर्षों पर मुहर है इस बार का नोबेल

अभिजात्य समाज और उनके समर्थन में खड़ा शासन-प्रशासन भुखमरी और कुपोषण के खिलाफ लड़ने वाले लोगों के खिलाफ लगातार हमले करता है। इसी माहौल में क्राई के साथ मिलकर जनमित्र न्यास 50 गांवों में मुसहरों के बीच व्याप्त कुपोषण को समाप्त करने के लिए सतत काम कर रहा है। ऐसे काम के कुछ सुखद परिणाम भी मिलते हैं तो इसकी कीमत भी कभी-कभार चुकानी पड़ती है।

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बरसों तक भीख मांग कर खाने वाला एक फ़कीर हंगर इंडेक्स को कैसे स्वीकार करे!

ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार 27.2 स्कोर के साथ भारत में भूख के मामले में स्थिति ‘गंभीर’ है. रिपोर्ट के अनुसार भारत की करीब 14 फीसदी जनसंख्या कुपोषण का शिकार है.

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भूखे पेट, खाली खाता, सूनी थाली! मिड डे मील का राशन और पैसा बन गया ‘आपदा में अवसर’

सरकार का दावा है कि उसने तो बहुत पहले ही पके हुए मध्याह्न भोजन या फिर उसके बदले की राशि बच्चों के खाते में डाल दी है, पर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।

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मौत के कगार पर हैं दिव्‍यांग व्‍यवस्‍था की सवा दो करोड़ सौतेली संतानें

सरकार ने अरबों के पैकेज की घोषणा की, राशन मुहैया करवाने का वादा किया, रोजगार का भरोसा दिलाया पर जब अच्छे-भले सामान्‍य लोगों को इन सबका फायदा नहीं मिल रहा तो भला दिव्यांगों के बारे में कौन सोचता है।

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28 फीसदी कवरेज वाले ‘आत्मनिर्भर भारत’ में राशन कार्ड होना भुखमरी से बचने की गारंटी नहीं है!

मोबाइलवाणी ने जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की और इस कोशिश को नाम दिया रोजी रोटी अधिकार अभियान। अभियान के तहत बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के गांवों और शहरों में गरीब तबके के परिवारों से उनका हाल जाना।

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तबाही के मुहाने पर खड़े बुनकरों के लिए मुफ्ती-ए-बनारस ने लगायी अपने सांसद मोदी से गुहार

मुफ्ती-ए-बनारस ने अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिजली दर की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग करते हुए एक अपील जारी की है।

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बनारस में भुखमरी की पहली रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों के उत्पीड़न पर NHRC का चीफ सेक्रेटरी को नोटिस

शिकायत को मानवाधिकार आयोग ने डायरी संख्या 58948/CR/2020 के तहत दर्ज किया और आज सोमवार को इससे सम्बंधित केस संख्या 10606/24/72/2020 पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के प्रमुश सचिव को कार्रवाई का नोटिस जारी कर दिया है.

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