गरीबों को गरीबी की जवाबदेही से मुक्त कर के विमर्शकार क्या अपना अपराधबोध कम करते हैं?

अगर हम बनर्जी महोदय की बातें मान लेते हैं, तो हमें मानना होगा कि गरीबों का स्वभाव ही गरीबी के लिए जिम्मेदार है। तो क्या गरीबी एक चारित्रिक दुर्गुण है? यह एक नया विचार है जिस पर सब लोग सहमत नहीं हो सकते!

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लखनऊ पुलिस के महिला-रक्षक AI कैमरों में देखिए जॉर्ज ऑर्वेल के ‘1984’ की छवियां!

जॉर्ज ऑरवेल ने 1984 नाम के उपन्यास में इस तरह की आशंका पर ध्यान दिलाया था कि सरकार देश भर के दफ्तरों, घरों, सड़कों पर कैमरे लगवा देगी ताकि यदि कोई उसके खिलाफ कुछ सोचे या बोले तो उसे तुरंत गिरफ्तार किया जा सके। क्या ‘1984’ जल्द ही हकीकत बनने वाला है?

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ऑक्सीटॉसिन की अतृप्त प्यास और उफनते राष्ट्रवाद का वैश्विक जज़्बात

दुनिया भर के नेता अपनी जनता को विश्वास दिलाने में लगे हैं कि वे दुश्मन की सारी जमीन जीत लाएंगे और अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देंगे। जनता जानती है कि जब युद्ध होते हैं, तो शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, सड़क, पानी के लिए जो पैसा लगना चाहिए था वह युद्ध में खर्च होता है, मगर जनता दिल के हाथों मजबूर है।

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कानून का राज होता यहां तो दो ‘गज’ दूरी के चक्कर में नप गया होता पूरा देश!

विधिक माप अधिनियम 2009 के अनुसार किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा पोस्टर विज्ञापन अथवा दस्तावेज़ में मीट्रिक प्रणाली के अलावा नाप जोख की किसी दूसरी प्रणाली के शब्द का इस्तेमाल कानूनन जुर्म है, जिसके लिए दस हज़ार रुपए का जुर्माना या एक साल तक की सज़ा हो सकती है।

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कोरोना, दिव्यांग और यूनिवर्सल डिज़ाइन का संकट

कोरोना त्रासदी हमें याद दिलाती हैं कि कई लोगों का जीवन हमारे मुकाबले कितना मुश्किल है और एक इंसान के रूप में हमारे क्या कर्तव्य हैं

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