मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर MP प्रलेस और राष्ट्रीय सेक्युलर मंच का वक्‍तव्‍य

राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक श्री लज्जा शंकर हरदेनिया और मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव शैलेन्द्र शैली ने एक शोक प्रस्ताव में कहा कि राहत इंदौरी जी मानवीय मूल्यों, सामाजिक न्याय, विश्व शांति और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध शायर थे।

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गोड्डा प्रोजेक्ट से बांग्लादेश को महंगी बिजली बेचकर मुनाफा काटने में लगा है अडानी

शोधकर्ता सज्जाद हुसैन तुहिन ने कहा कि बांग्लादेश अडानी गोड्डा पावर प्लांट से 7.53 टका प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेगा लेकिन भारत में सौर ऊर्जा की कीमत केवल 2.74 टका है।

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भारत के मुसलमान शिक्षा मंत्रियों के खिलाफ खुला नया मोर्चा इस्लामोफोबिया की उपज है

भारत पर अपने राज को मजबूती देने के लिए अंग्रेजों ने सांप्रदायिक चश्मे से इतिहास का लेखन करवाया और आगे चलकर इतिहास का यही संस्करण सांप्रदायिक राजनीति की नींव बना और उसने मुसलमानों के बारे में मिथ्या धारणाओं को बल दिया.

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मौजूद नीतियों के चलते आदिवासियों की सभ्यता-संस्कृति का विलोपन एक अनिवार्य परिणति है!

अप्रैल से लेकर जून तक का समय माइनर फारेस्ट प्रोड्यूस (लघु वन उत्पाद) को एकत्रित करने का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। वर्ष भर एकत्रित होने वाले कुल एमएफपी का लगभग 60 प्रतिशत इसी अवधि में इकट्ठा किया जाता है किंतु दुर्भाग्य से कोविड-19 की रोकथाम के लिए लॉकडाउन भी इसी अवधि में लगाया गया।

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नई शिक्षा नीति कहीं आरक्षण को खत्म करने का ऐलान तो नहीं?

नई शिक्षा नीति, 2020 आरक्षण के सवाल पर मौन है। कहीं यह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस ऐलान की परिणति तो नहीं जिसमें उन्होंने आरक्षण की समीक्षा पर बात कही थी। आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े आरक्षण विरोधी मंच गाहे बगाहे आरक्षण को ख़त्म करने की बात उठाते रहे हैं।

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भारत के गांवों में कैसे सफल होगी ऑनलाइन शिक्षा?

अगर सरकार की नीतियों की दिशा ये है कि डिजिटल एजुकेशन से काम चलाया जाएगा, तो इसके लिए तीन कदम उठाने होंगे. एक, देश में इंटरनेट और स्मार्टफोन की सुविधा का विस्तार करना होगा और लैपटॉप या टैबलेट हर छात्र को मिल सके, ऐसी व्यवस्था करनी होगी. दो, छात्रों से भी पहले शिक्षकों को डिजिटल एजुकेशन के लिए तैयार करना होगा और उनकी ट्रेनिंग करानी होगी. तीन, डिजिटल एजुकेशन के लिए सिलेबस को बदलना होगा और नए टीचिंग मैटेरियल तैयार करने होंगे.

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बाबा लाल दास का प्रेत अयोध्या में आज भी मंडरा रहा है!

संत लाल दास वही शख्स थे जिन्होंने राम मंदिर-बाबरी विवाद के शांतिपूर्ण हल की बात की थी. वो इस मुद्दे के राजनीतिकरण के सख्त खिलाफ थे. जब तक वो जिंदा रहे परिषद, बीजेपी और आरएसएस की दाल अयोध्या में नहीं गल पायी.

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सच्ची रामायण और हिंदी का कुनबावाद: संदर्भ ललई सिंह यादव

श्री यादव ने खुद को उत्तर भारत के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता ललई सिंह का अनन्य भक्त और घोर समर्थक सिद्ध करने की कोशिश की है, हालाँकि उन्होंने यह नहीं बताया है कि उनकी इस भक्ति का मूल आधार क्या है?

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कंगूरे की चमकती ईंटों के दौर में नये-नवेले राम

जिस राम को तुलसीदास जानते थे, वाल्मीकि जानते थे, धीरे-धीरे वे राम नेपथ्य में चले गये। संघ और भाजपा ने अपने लिए एक नये राम का निर्माण किया। वे राम, जो फूलों से कोमल और ब्रज से भी कठोर थे उन्हें धीरे-धीरे केवल कठोर बनाया जाने लगा। राम की भुवनमोहिनी मुस्कान और कोमल काया तस्वीरों के साथ-साथ आम जन के अवचेतन से भी दूर की जाने लगी।

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कोरोना काल में मांग कर खाने को मजबूर हैं बाँसफोर और बहेलिया जैसी घुमंतू जातियों के लोग

कोरोना ने उनकी सम्पूर्ण रोज़ी रोटी पर ही वार किया है। ये यूपी के आजमगढ़ से आये लोग हैं और उनके समुदाय के लोग गाजीपुर बलिया, मऊ, गोरखपुर, बहराइच आदि में घूम-घूम कर रहते है। ये अपनी जाति बीन बंशीबासफोर बताते हैं जो बाँसफोर समुदाय के अंतर्गत ही आते हैं।

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