मऊ: जातिगत आधार पर जनप्रतिनिधि के पुलिस उत्पीड़न पर CJI और NHRC को पत्र


उत्त्तर प्रदेश में राजनीतिक-जातिगत द्वेष के चलते जनप्रतिनिधियों का उत्पीड़न किया जा रहा है. मऊ के पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामप्रताप यादव के साथ हुए पुलिस दुर्व्यवहार को उनके द्वारा जातिगत आधार पर बताए जाने के बाद रिहाई मंच ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पिछड़ा आयोग, मुख्य न्यायाधीश (सर्वोच्च न्यायालय), मुख्य न्यायाधीश (उच्च न्यायालय), राज्यपाल, पुलिस महानिदेशक, गृह मंत्रालय (भारत सरकार), गृह विभाग (उत्तर प्रदेश), राज्य मानवाधिकार आयोग, राज्य पिछड़ा आयोग, जिलाधिकारी (मऊ), पुलिस अधीक्षक (मऊ) व अन्य संस्थाओं को पत्र भेजा है.

जनपद मऊ की नगर पंचायत चिरैयाकोट की अध्यक्ष लीलावती देवी के बेटे और पूर्व जिला पंचायत सदस्य (चिरैयाकोट) रामप्रताप यादव जो उनके प्रतिनिधि भी हैं, उनके आवास पर पिछली 6 जुलाई 2020 की शाम साढ़े चार बजे के करीब थानाध्यक्ष चिरैयाकोट रूपेश सिंह आए और उन्होंने उनसे उनके बेटे आकाश प्रताप यादव और ड्राइवर के बारे में पूछा. पूछने पर कि क्यों वे पूछ रहे हैं, तो थानाध्यक्ष ने कहा कि उनके लड़कों ने मारपीट की है, जिस पर रामप्रताप यादव ने कहा कि वे घर में नहीं हैं, आने पर उनको आपके पास भेजता हूं. दस मिनट बाद थानाध्यक्ष फिर आए और कहा कि उनके ऊपर अधिकारियों, नेताओं का बहुत दबाव है इसलिए थाने चलना ही होगा. इस पर रामप्रताप यादव ने कहा कि वे क्यों थाने जाएं, थानाध्यक्ष नहीं माने और उन्हें थाने ले गए. थाने जाने पर उन पर दबाव बनाया गया कि वे लड़कों और ड्राइवर को थाने में हाजिर करवाएं.

राम प्रताप यादव ने रिहाई मंच से संपर्क कर अपनी व्यथा बतायी. रामप्रताप कहते हैं कि उनको साजिशन मुल्जिम बनाकर जेल भेजने की कोशिश थी जिससे उनका सामाजिक-राजनीतिक हनन हो. जेल भेजकर वे राजनीतिक छवि धूमिल करना चाहते थे. एक नागरिक और जनप्रतिनिधि के बतौर वे पुलिस की इस कार्रवाई को अपने मान-सम्मान पर ठेस पहुंचाने वाली कार्रवाई कहते हैं. पुलिस द्वारा यह कहने की उस पर बहुत दबाव है को वे मानते हैं कि राजनीतिक द्वेष के चलते उनके साथ यह कार्रवाई कर उनकी समाज में छवि धूमिल की गयी. इस पूरे प्रकरण से राम प्रताप और उनका परिवार अपने को असुरक्षित महसूस कर रहा है.

दबाव की बात पूछने पर रामप्रताप कहते हैं कि नहीं मालूम उन पर किस बड़े अधिकारी का दबाव था या फिर किस भाजपा नेता का दबाव है. वो नाम तो स्पष्ट नहीं कर रहे थे. रामप्रताप यादव ने बताया कि थाने में जब उनको जेल भेजने की बात होने लगी तो उन्होंने पूछा कि किस आधार पर उन्हें जेल भेजने को कहा जा रहा तो उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज है. जब उन्होंने पूछा कि मैं घर पर था और थानाध्यक्ष ने मुझे उन पर ऊपर से दबाव है कहकर लाया तो उस वक्त क्यों नहीं बताया कि मुकदमा दर्ज किया गया है. बातचीत के बाद पुलिस ने कहा कि मारपीट में उनके जो लड़के और ड्राइवर हैं वे आ जाएं तो उन्हें छोड़ देंगे. रात 8 बजे के करीब ड्राइवर पिंटू और पंकज थाने में हाजिर हुए. रामप्रताप यादव बताते हैं कि सुबह के करीब 4-5 बजे उन्हें थाने से छोड़ा गया जबकि आधिकारिक रूप से रात 11 बजे छोड़ने की बात कही गई. फिलहाल रामप्रताप यादव और उनके भाई जयप्रताप यादव जो ग्राम मनाजित के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि हैं जमानत पर हैं.

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने भेजे पत्र में कहा है कि रामप्रताप यादव जनप्रतिनिधि हैं. जैसा कि वे बताते हैं कि जब से भाजपा की सरकार बनी है उनके यहां एक सामंतवादी नेता हैं जो यह चाहते हैं कि किसी बैकवर्ड का बेटा या यादव का बेटा इस कस्बे में न उभर जाए और उनकी राजनीति को चुनौती न बन जाए इसलिए वे इस तरह के प्रयास करते हैं. उनके साथ हुए पुलिसिया उत्पीड़न पर वे साफ कहते हैं कि वे जाति के अहीर हैं इसलिए अहीर के नाते ये उत्पीड़न किया जा रहा. पूरे प्रदेश में जो यादवों के खिलाफ सरकार ने माहौल बनाया है उसका ये असर है. बीजेपी के एमपी, एमएलसी सब इसमें हैं. इन सामंती तत्वों द्वारा बाजार में भी उत्पीड़न किया जाता रहा है जिसके खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई उसकी वजह से उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई.

उन्होंने ये भी कहा कि उनके कस्बे में यह चिन्हित किया जाता है कि अल्पसंख्यक कौन हैं, दलित कौन हैं, पिछड़े कौन हैं उनको दबाने का काम प्रशासन से करवाया जाता है. जिस तरह से इस मामले में उनको ऊपर से दबाव के चलते थाने ले जाया गया और वहां बाद में जेल भेजने की बात आने पर उनके द्वारा पूछने पर कि क्यों जेल भेजेंगे तो बताया गया कि उन पर मुकदमा दर्ज है, यह मानवाधिकार हनन का गंभीर मसला है.


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