साधो देखो जग बौराना…


बाबाओं की सबसे ज्यादा शक्तियाँ और चमत्कार भारत में ही पाये जाते हैं, लेकिन मजेदार बात यह है कि इनकी इतनी शक्तियों और चमत्कारों के बावजूद भारत विश्व में सैकड़ों सालों से गुलाम रहे देशों में तीसरा देश कहलाता है। भारत गरीबी, गंदगी, अनुशासनहीनता, लालच, भ्रष्टाचार, अंधभक्ति जैसी समस्याओं से जूझ रहा है किन्तु ये बाबा आज तक देश का कल्याण नहीं कर पाए। यदि आप यकीन कर सकें तो वास्तविकता यह है कि किसी बाबा में कोई शक्ति नहीं, कोई चमत्कार नहीं। आप अपने को टटोलें तो पाएंगे कि शक्ति तो आप में है, चमत्कार तो आप में है। बेवजह ही आप बाबाओं के चक्कर में पड़े थे। अच्छा होता आप अपने आप पर कृपा करते। इनसे दूर रहकर अपनी शक्ति को पहचानते। प्रकृति तथा ब्रह्माण्ड के अचूक, तर्कसम्मत एवं वैज्ञानिक नियमों की पहचान करते। आप अज्ञानता, बेबसी एवं भय के कारण ही तो बाबाओं, ज्योतिषियों, तांत्रिकों या अन्य पाखंडी गुरुओं के पीछे भागते हैं, फिर चाहे आपका विश्वास कमजोर रहा हो या दृढ़। वैज्ञानिक विश्लेषण एवं तर्क के सम्पर्क में आ सकते तो आपकी आँखें हमेशा के लिए खुल जातीं। ये फालतू, बेवजह की भागदौड़ हमेशा के लिए बंद हो जाती।

आज माहौल ही लोगों ने कुछ ऐसा बना दिया है कि बाबाओं का सारा दोष छुप जा रहा है। बाबा के आसपास दस-बीस चेला-चेली दौड़ रहे हैं, राजनेता इनके आसपास घूम रहे हैं। जहां ये प्रवचन झाड़ रहे हैं वहां फूलों से भव्य सजावट की गई है। शहंशाही आसन पर बाबा विराजमान है। ‘प्रवचन’ वाले सेट पर पांच सितारा सुविधाएं हैं। जनता मदहोश है, भक्ति रास में डूबी है। उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे बड़ा पुण्य कमा रहे हैं। बाबाओं का ज्ञान देखिए- एक बाबा प्रवचन देता है, कहता है मैंने एक स्वप्न देखा, सपना, ड्रीम, नाइटमेयर। भैया, नाइटमेयर मतलब तो दुस्वप्न होता है, लेकिन पब्लिक की आंखें बंद हैं। हर परेशानी और कष्ट का इलाज बाबा बता रहा है, अमुक दिन पास के किसी मंदिर चले जाइए, फलां रंग का कपड़ा पहन लीजिए, फलां अनाज खा लीजिए, चढ़ावा चढ़ा दीजिए, सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। बुद्धि विवेक पर ताला डाल कर भक्त पूरी श्रृद्धा से प्रवचन आत्मसात कर रहे हैं। सिंहासन पर बैठा बाबा मजे से कमाई कर रहा है। नए जमाने के इस बाबा के क्या कहने। इसे बैठने के लिए भव्य सिंहासन चाहिए। घूमने के लिए लंबी गाड़ी और ए-ग्रेड बाबा है तो हेलिकॉप्टर से कम में काम नहीं चलता। इसका ईश्वर से सीधा कनेक्शन है फिर भी इसे जेड प्लस सि‍क्योरिटी चाहिए। आश्रम तो ऐसे बनवा रखे हैं कि शहंशाह भी शर्म के मारे जमीन में गड़ जाएं। एक दौर था कि साधु-संत मायावी प्रलोभनों से दूर रहकर समाज को संस्कारित व धार्मिक बनाने में अपनी महती भूमिका निभाते थे। स्वयं सात्विक-सरल जीवन जीते थे। काम, क्रोध, मद लोभ को त्याग कर खुद का जीवन दूसरों के हितार्थ होम कर देते थे। आज जिन साधु-संतों को हम देख रहे हैं, इनकी लीला अपरम्पार है, यह बताना मुश्किल है। सर्वगुणसंपन्न इन कथित साधु संतों का न तो कोई चरित्र होता है न ही इनमें कोई त्याग। आए दिन इनकी काली करतूतें सार्वजनिक होती रहती हैं। इसके बावजूद पहले की तरह ही आज भी इस महाविकसित दौर में साधु-संतों के प्रति जनता में श्रद्धाभाव है। आश्चर्य यह कि पढ़े लिखे लोग भी इनकी चालबाजियों के चंगुल में फंस जाते हैं।

बलात्कार के मामले में सीबीआई कोर्ट से 10 साल की सजा पाने वाले गुरमीत राम रहीम सिंह पैरोल पर हैं। सरकार की मेहरबानी है। 25 अगस्त 2017 को गुरमीत राम रहीम को विशेष अदालत ने 2002 के एक मामले में दो महिलाओं के साथ बलात्कार का दोषी माना। 28 अगस्त को सजा सुना दी गई। इस मामले में राम रहीम को 20 साल के सश्रम कारावास व 65 लाख रूपये जुर्माने की सजा हुई और राम रहीम को पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति हत्याकांड में 11 जनवरी 2019 को दोषी करार दिया गया व दिनांक 17 जनवरी 2019 को सीबीआई की विशेष आदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई।

दोषी मानने का फैसला आने के बाद राम रहीम के समर्थकों ने पूरे राज्य में हिंसक प्रदर्शन किया। इस दौरान कम से कम 38 लोगों की मौत हो गयी जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। करोड़ों रुपये की संपत्ति का भी नुकसान हुआ। इसके बाद कोर्ट से फटकार मिलने पर सरकार हरकत में आयी और राम रहीम के डेरे को सेना ने अपने घेरे में ले लिया। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह को बलात्कार के आरोप में सजा मिलने के बाद डेरों की गतिविधियों पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। पंजाब और हरियाणा में करोड़ों भक्तों की श्रद्धा के केंद्र और डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम इंसा को बलात्कार के आरोप में दोषी पाये जाने के बाद दस साल की सपरिश्रम कैद की सजा होने से इस कांड के पहले अंक पर तो पर्दा गिर गया है, लेकिन अभी यह प्रकरण समाप्त नहीं हुआ है। अपने को भगवान मानने और भक्तों से मनवाने वाले इस व्यक्ति पर अभी हत्या का एक और मुकदमा चल रहा है जिसमें अगले माह फैसला सुनाये जाने की उम्मीद की जा रही है।

इसी के साथ भक्ति, अध्यात्म और समाजसेवा के नाम पर चल रहे इन डेरों के बारे में सार्वजनिक विमर्श भी तेज हो चला है और धर्म, राजनीति और अपराध के बीच के गहरे रिश्ते भी चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। 25 अगस्त लेकर से अब तक जो हुआ है, उसे देखकर हर नागरिक के मन में एक ही सवाल है, और वह यह कि वे कौन से कारण हैं जो एक अपराधी को करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केंद्र, अकूत धन-संपत्ति का स्वामी और राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली बना देते हैं? पिछले वर्ष ही हरियाणा के एक मंत्री ने सरकारी कोष यानी जनता के पैसे से ग्यारह लाख रुपये डेरा सच्चा सौदा को दिये थे। गुरमीत सिंह राम रहीम को सरकार की ओर से जेड प्लस सुरक्षा भी मिली हुई थी जो किसी भी नागरिक को दी जाने वाली सर्वोच्च सुरक्षा है। 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान स्वयं नरेंद्र मोदी ने डेरे के मुख्यालय जाकर उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की थी और उसके सामने नमन किया था और डेरे की ओर से भारतीय जनता पार्टी को पूरा समर्थन मिला था। कांग्रेस भी डेरे का समर्थन लेती रही है। जाहिर है कि उसका समर्थन लेकर सत्ता में आने वाली पार्टी उसके प्रति कृतज्ञ ही रहेगी और डेरे के प्रमुख को सरकार और प्रशासन की ओर से केवल संरक्षण ही मिलेगा। पिछले कई दशकों से यही होता भी रहा है।

पिछले दिनों डेरा सच्चा सौदा की तलाशी के दौरान कई एके-47 राइफलें, पेट्रोल बम, गोला-बारूद और अन्य कई किस्म के हथियार बरामद हुए हैं। डेरे की अपनी एक निजी सेना है जो अत्याधुनिक हथियारों से लैस है। सवाल है कि पुलिस-प्रशासन के होते हुए यह सब कैसे संभव हो पाया? हरियाणा में ऐसा ही एक बाबा रामपाल है। वह भी जेल में है। नवम्बर 2014 में स्वयंभू संत रामपाल के सतलोक आश्रम से नकदी, हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और कमांडो परिधान बरामद किए गए। आश्रम के बीच में स्वचालित तरीके से ऊपर नीचे होने वाली एक व्यवस्था थी, जिसमें रामपाल की कुर्सी मिली। तलाशी के दौरान एक निजी स्वीमिंग पूल, आधुनिक स्वचालित सीढ़ियां तथा 24 वातानुकूलित कमरे मिले, जिनमें एक कमरे में मसाज बेड भी मिला। हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जेई के पद पर रहे रामपाल ने संत बनकर लोगों को आंखों पर झूठ का ऐसा पर्दा डाला कि लोग उसे भगवान का अवतार मानने लगे। आश्रम में लगी हाइड्रोलिक लिफ्ट के जरिये रामपाल एक जगह से दूसरी जगह निकल आता था। इसी अंधविश्वास के कारण लोग उसे अवतार समझने लगे तथा भीड़ बढ़ती गई।

मुंबई में आलीशान आश्रम में रहने वाली राधे मां के आगे बॉलीवुड के स्टार्स से लेकर समाज के धनकुबेरों का तांता लगा रहता है, लेकिन आस्था के पीछे का सच क्या है ये कोई नहीं जानता। तमाम सवालों के बाद भी राधे मां का दरबार सजने का सिलसिला नहीं थमा। उनकी भक्ति में गाने गाये जाते हैं। वह झूमझूम कर नाचने लगती हैं, तो ऐसा लगता है पूरे माहौल में एक अजब सा जादू हो गया है। उनके तमाम भक्तों की मानो सोचने-समझने की शक्ति भी छीन ली हो। किसी भक्त पर मां जब बहुत खुश हो जाती हैं तो वो झूमते-झूमते उसकी गोद में कूद जाती हैं। माना जाता है कि जिस भक्त की गोद में मां ने छलांग लगाई है वो बहुत भाग्यशाली है और उसकी सभी मन्नतें तत्काल पूरी हो जाएंगी। राधे मां जब गोद में आ जाती हैं तो भक्त दोगुनी खुशी से मां को लेकर नाचता है। पंजाब की रहने वाली राधे मां पर अगस्त 2015 में मुंबई में केस दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी हुई। मुंबई की एक महिला ने उन पर आरोप लगाया कि राधे मां ने उसे दहेज के लिए मानसिक-शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उनके अनुयायियों ने उसके साथ मारपीट की। उनके कहने पर ही उसके ससुरालवालों ने उसे घर से निकाल दिया। पीड़िता के मुताबिक, 2012 में उसकी शादी मुंबई में हुई थी। उसके ससुराल के लोग राधे मां के अंधभक्त हैं। उनके कहने पर ही उसके ससुरालवालों ने उससे शादी की थी। शादी से पहले ही राधे मां और ससुरालवालों ने अपनी मांग रखनी शुरू कर दी थी।

आसाराम बापू के करनामों से तो सब वाकिफ हैं ही। इन्होंने अपने गुरुकुल में पढ़ने वाली एक किशोरी का सुनियोजित तरीके से रेप किया। अब जोधपुर में जेल में हैं। हिंदुस्तान भर में इनके अनेक आश्रम हैं, अहमदाबाद, सूरत, इंदौर और जोधपुर का तो किस्सा ही है यह। इनका दिल्ली के बीचोबीच रिज फॉरेस्ट में एक आश्रम है। जंगल में मंगल। ईश्वर की मर्जी?  खबरें आती रही हैं फलां बाबा के लोगों ने यहां जमीन पर कब्जा कर लिया, वहां अवैध रूप से आश्रम बना डाला लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं देता। न जनता, न सरकार। भाई, ये बाबा हैं या भूमाफिया? बंगलौर के परमहंस नित्यानंद के कथित सेक्स वीडियो ने 2010 में सनसनी फैला दी थी। इसके बाद नित्यानंद सुर्ख़ियों में आ गए। वे दुनिया के कई देशों में नित्यानंद ध्यानपीठ चलाते हैं। दक्षिण भारत के एक टेलीविज़न चैनल ने इस वीडियो का प्रसारण किया था जिसमें एक साधु जैसे दिखने वाले व्यक्ति को दो महिलाओं के साथ अश्लील अवस्था में दिखाया गया था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने नित्यानंद ध्यानपीठ पर हमला कर दिया और तोड़फोड़ की। काञ्ची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को नवंबर 2004 में एक हत्या के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था पर आठ साल बाद भी ये मामला पुडुचेरी की एक अदालत में घिसट रहा है। केरल के अमृत चैतन्य उर्फ़ संतोष माधवन को नाबालिग़ लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने के लिए एक अदालत ने 2009 में 16 साल की सजा सुनाई थी। कश्मीर में श्रीनगर से 42 वर्षीय गुलज़ार बट को पुलिस ने बलात्कार के आरोप में मई 2013 में गिरफ़्तार किया। उन पर आरोप था कि उन्होंने बडगाम के अपने मज़हबी ठिकाने खानसाहेब में कई लड़कियों का यौन शोषण किया। पुलिस ने बताया कि सैयद गुलज़ार के स्कूल में 500 छात्राएँ पढ़ती हैं और वो स्कूल में काम करने वाली महिलाओं के ज़रिए लड़कियों को बहला फुसला कर उनसे यौन संबंध बनाते थे।

उत्तर प्रदेश में पाखंडी साधुओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। राज्य में कई साधु-संत अपनी विवादित भाषा शैली और आचरण के कारण चर्चा में रहे, भक्त बनकर मंदिर स्थापित करने और लोगों को प्रवचन देने वाले चित्रकूट के बाबा, इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद महाराज उर्फ शिवमूरत द्विवेदी के काले कारनामों को चिट्‌ठा जब उजागर हुआ तो ऐसे साधु संतों को लेकर कुछ बहस छिड़ी। एक बार प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़ मची। आश्रम के लोग बोले कि यह जो इतने लोग मरे इसमें हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं, ईश्वर की मर्जी है। अरे भाई, बाबा जी तो ईश्वर के एकदम करीब हैं। दिन-रात ईश्वर से साक्षात्कार करते हैं, साक्षात प्रभु के दर्शन करते हैं। तो फिर ईश्वर ने उन्हें क्यों नहीं बताया कि बाबा, कल तुम्हारे आश्रम में भगदड़ मचेगी, लोग मरेंगे?  मत करो श्रद्धा, या करो भी तो चुपचाप, अकेले। अपने करीबियों को याद करने के लिए मजमा लगाने की क्या जरूरत?  स्वयं अपने आप को ईश्वर बताने वाला यह कैसा बाबा है जिसे यह नहीं पता कि थोड़ी देर में यहां 64 महिलाएं और बच्चे कुचल कर मरने वाले हैं? ईश्वर के करीब हो तो ईश्वर की मर्जी भी पता होगी! बल्कि आप तो कहते हैं कि आप स्वयं ईश्वर हैं तो फिर इन लोगों की मौत की जिम्मेदारी लीजिए।

राजधानी लखनऊ के बाबा भूतनाथ को मरे कई साल हो गए हैं, लेकिन आज भी उनके द्वारा हथियाई गई ज़मीन पर बनी भव्य भूतनाथ मार्केट उनके नाम को जीवित रखे हुए है। लखनऊ के इंदिरागनर में जहां पर भूतनाथ मार्केट बनी है इस ज़मीन की क़ीमत करोड़ों रुपए है। बाबा भूतनाथ करिश्माई तांत्रिक के रूप में अपनी छाप बनाए हुए थे, वे तरह-तरह के केमिकल के प्रयोग से लोगों को बेवकूफ बनाने में सिद्धहस्त थे। उनके गुरुभाई रहे बाबा भैरोनाथ को उनकी करतूतों पर काफी नाराज़गी रहती थी। संत ज्ञानेश्वर के तो नाम के आगे ही संत लगा था और पीछे ज्ञानेश्वर, लेकिन उनके शौक निराले थे। भूमाफिया के रूप में संत ज्ञानेश्वर का नाम पुलिस रिकॉर्ड में भले ही नहीं था, लेकिन दूसरों की ज़मीन हथियाने की आदत ने उन्हें मौत की गोद में सुला दिया। ख़ूबसूरत महिला कमांडो के संरक्षण में चलने वाले संत ज्ञानेश्वर ने बाराबंकी से लेकर इलाहाबाद तक अपना साम्राज्य फैला रखा था। उनके आश्रम में कई वीआईपी लोगों का आना-जाना था। संत ज्ञानेश्वर पर आरोप था कि वह अपने आश्रम में आने वाले अतिथियों को आश्रम में रहने वाली लड़कियां पेश करते थे। जब छापा मारा गया तो उनके आश्रम से कई आधुनिक हथियार भी पुलिस ने बरामद किए। भाजपा के टिकट से दो बार सांसद रह चुके सच्चिदानंद हरि उर्फ साक्षी महाराज पर ज़मीन हथियाने और यौन उत्पीड़न के आरोप समय-समय पर लगते रहे। 27 मार्च 2009 को साक्षी महाराज के आश्रम से एक 24 वर्षीय युवती लक्ष्मी का शव बरामद हुआ तो हड़कंप मच गया, लेकिन आज भी वह भाजपा के सांसद हैं। आश्रम के रूप में साक्षी महाराज के पास अच्छी खासी संपदा एकत्र है।

बाबा को भगवान बना देने में लोगों की अंधभक्ति ही काम करती है। जो बाबा स्वयं अपनी ही भलाई में लगा हुआ है वह किसी और का भला कैसे कर सकता है? जो खुद लालच से उबर नहीं सकता वह औरों को क्या शिक्षा दे सकता है? जो आम आदमी और खास आदमी में फर्क करता है, वह क्या भेद मिटाएगा? यह समझने की जरूरत है। समाज में ऐसे ढोंगियों की संख्या हजारों में है जिनकी काली करतूतें यदा कदा जाहिर होती ही रहती हैं लेकिन तब भी लोगों का उनसे मोहभंग नहीं होता। वे उनके चंगुल में फंसते ही रहते हैं। जिसका फायदा उठाकर बड़ी संख्या में छद्म वेशधारी, साधु-बाबाओं की जमात में शामिल हो लिए हैं। मजे की बात यह कि लोग अब ईश्वर की जय नहीं बोलते बल्कि बाबा की जय बोलते हैं। लगता है ईश्वर की शक्ति अब क्षीण हो गई है। अब उन्हें ईश्वर की जरूरत नहीं रही। उन्हें तो बस बाबा की ‘कृपा’ चाहिए क्योंकि बाबा स्वयं ईश्वर है या फिर ईश्वर का असली दलाल। वह सिफारिश कर देगा तो परमात्मा आँख बंद कर उसकी बात मान आपका काम कर देगा। जब ऐसे बाबा पैदा हो गए हैं तो धर्मप्राण व्यक्तियों को  ईश्वर की कोई जरूरत ही नहीं है। आखिर जो आपको भ्रमित कर दे, वही आपका भगवान है फिर वह बाबा हो या नेता।

हमारा अवचेतन मन हमारे विश्वास पर कार्य करता है, तर्क पर नहीं। इसलिए आप किसी भी बाबा, पाखंडी गुरु या साधक के पास चले जाएं, किसी भी मंदिर, गुरूद्वारे, मज़ार पर चले जाएं, यह निश्चित मान लीजिए आपका इनके पास जाना ही आपके अवचेतन मन को प्रभावित करता है।

कबीर के शब्दों में –

बहुत मिले मोहि नेमी, धरमी, प्रात करें असनाना
आतम-छाँड़ि पषानै पूजै, तिनका थोथा ज्ञाना।
साँची कही तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना
साधो, देखो जग बौराना।



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