मणिपुर में पत्रकारिता पर UAPA से वार, मुंबई में फ़तवेबाज चैनलों को केवल अदालती फटकार!

कोर्ट ने कहा कि रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ की कुछ रिपोर्टिंग प्रथमदृष्टया अवमाननापूर्ण थी. बेंच ने हालांकि चैनलों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया और चल रही जांच की भविष्य में रिपोर्टिंग करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए. दोनों चैनलों की रिपोर्टिंग को मानहानिकारक मानते हुए अदालत ने कहा, ”मीडिया ट्रायल से न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप और बाधा उत्पन्न होती है.”

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आर्टिकल 19: TRP की नपाई रोकने के पीछे Zee और BARC का बाप-बेटा कनेक्शन!

बार्क के इंडिया बोर्ड का चेयरमैन कौन है? उनका नाम है पुनीत गोयनका। पुनीत गोयनका ज़ी न्यूज के संस्थापक और एस्सेल समूह के मालिक सुभाष चंद्रा के सुपुत्र हैं। सुभाष चंद्रा को बीजेपी ने राज्यसभा का सांसद बनाया है। खबरों का डीएनए जांचने वाले सुधीर चौधरी, पुनीत गोयनका के चाचा-पापा-ताऊ के मुलाजिम हैं। कुछ समझ पा रहे हैं?

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आर्टिकल 19: ये TRP का घोटाला नहीं, दुर्गंध पर एकाधिकार की लड़ाई है!

टीआरपी मामला ही नहीं है। खेल ये है कि हिंदुत्व के एजेंडाधारी चैनलों और एंकरों को अर्णब गोस्वामी ने एक झटके में पैदल कर दिया है, तो टीवी के पर्दे की खिसियानी बिल्लियां और बागड़बिल्ले नैतिकता का खंभा नोच रहे हैं।

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आर्टिकल 19: आजतक नहीं, रिपब्लिक! जब खालिस दुर्गंध यहां मिले तो कोई वो क्‍यूं ले, ये न ले…

आजतक की ये दुर्गति इसलिए हुई है कि अरुण पुरी ने अर्णब गोस्वामी बनने में पूरी ताकत झोंक दी। उसके पास न अपनी रिपोर्टें थीं, न अपना कोई पत्रकारीय विमर्श और न ही कोई स्वतंत्र सोच। आजतक बस ईवेंट जर्नलिज्म कर सकता था।

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केस CBI को ट्रांसफर करने और FIR रद्द करने सम्बंधी अर्नब गोस्वामी की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रिपब्लिक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी पर उनकी कथित सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज मामला सीबीआइ को ट्रांसफर करने की याचिका खारिज …

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एक आवाज़, जिसके सामने कट्टर हिंदुत्व के चेहरे भी लिबरल नज़र आते हैं!

महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग और सोनिया गांघी की तथाकथित “चुप्पी” वाले विवाद में तो उन्होंने पत्रकारिता की सारी मर्यादाओं को तार-तार कर दिया है

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बुरी पत्रकारिता का जवाब हिंसा नहीं है: रिपब्लिक टीवी के मालिक पर प्रेस काउंसिल का बयान

अपने बयान में प्रेस काउंसिल ने कहा है कि कथित रूप से एक पत्रकार के बतौर अपने विचारों के लिए अर्नब गोस्वामी पर हुए कथित हमले के बारे में जानकर काउंसिल निराश है। उसका कहना है कि देश के प्रत्येक नागरिक और पत्रकार को अपने विचार रखने का अधिकार है भले कुछ लोगों को वह नागवार गुज़रे लेकिन इसके कारण उसकी आवाज़ को नहीं दबाया जा सकता।

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छत्तीसगढ़ के बाद अब UP में भी कांग्रेस ने की अरनब गोस्वामी के खिलाफ़ पुलिस में शिकायत

तहरीर में लिखा है कि और अरनब गोस्वामी ने सांप्रदायिक भावना को भड़काया है, साथ ही साथ भारत की कानून व्यवस्था के प्रति विद्वेष फैलाने वाली भाषा का इस्तेमाल किया है।

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