आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने का मुद्दा क्या सिर्फ चुनावी भ्रम था?

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने बता दिया है कि आरक्षण को खत्म करने और संविधान को बदलने की मंशा रखकर चुनाव नहीं जीते जा सकते। चुनाव परिणाम ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ‘निर्णायक’ दलित-पिछड़े ही हैं। इसलिए दलितों-पिछड़ों की उपेक्षा व उनके हितों की अनदेखी किसी को भी भारी पड़ सकती है।

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दुर्ग में दरार? हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के मायने

मोदी की नैतिक हार को रेखांकित करने वाला यह चुनाव और बाद की यह स्थिति उनके लिए तथा व्यापक संघ-भाजपा परिवार के लिए कई सबक पेश करती है। अब उन्हें यह तय करना है कि वह आत्ममंथन करेंगे या किसी अन्य के माथे दोषारोपण करके इतिश्री कर लेंगे!

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सुदामा प्रसाद: एक ऐसा उम्मीदवार जिसे जनस्वास्थ्य, पर्यावरण व पुस्तकालयों की भी चिंता है

जनता के मुद्दों को लेकर किसानों, मज़दूरों, विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ बिहार के आरा से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक लड़ने वाली पार्टी के नुमाइंदे को अपना नुमाइंदा बनाना आरा के प्रबुद्ध मतदाताओं के हाथ में है। तीन तारों वाले चुनाव चिह्न में संघर्षों की लालिमा है, सतरंगी इंडिया गठबंधन से जुड़ा यह रंग जनता जनार्दन को पसंद है या नहीं ये 4 जून को ही पता चलेगा।

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भाजपा-संघ की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ भारतीयता खड़ी हो गई है: अखिलेन्द्र

बैठक को सर्वोदयी गांधीवादी कार्यकर्ता अरविंद अंजुम ने संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा को हराना जरूरी है लेकिन साथ ही जन मुद्दों को भी मजबूती से उठाना होगा।

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हरियाणा: आधी सीटों पर प्रत्याशी बदलना क्या भाजपा के संकट को दिखलाता है?

भाजपा के लिए अबकी बार हरियाणा में चुनौतियां गंभीर हो गई हैं। मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री काल के लाभ को करनाल में भाजपा भुना कर सीट को अपने खाते में लाना चाहती है। यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि एक एक सीट भाजपा के लिए जीत सुनिश्चित करने के लिए कितनी महत्वपूर्ण हो गई है।

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किसान मजदूर आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए पेश किया 2024 के आम चुनाव का एजेंडा

दिल्‍ली के प्रेस क्‍लब में इस संबंध में एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में एजेंडे को रखते हुए नेशन फॉर फारमर्स के सदस्‍यों ने केंद्र और राज्‍य सरकारों से अनुरोध किया कि वे किसानों, ग्रामीण मजदूरों, उपभोक्‍ताओं, महिलाओं और ग्रामीण युवाओं के हक में खड़े हों। प्रेस कॉन्‍फ्रेंस को केएमसी के सदस्‍यों और संयुक्‍त किसान मोचा्र के नेताओं ने संबोधित किया।

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क्या भाजपा और संघ ने 2024 की पटकथा लिख दी है?

नतीजों से साफ है कि इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस अपने मतदाताओं को जोड़े रखने में सफल रही है जबकि भाजपा ने अन्य दलों अथवा निर्दलीय के समर्थन में जाने वाले मतदाताओं को प्रभावित कर अपने पाले में लाने में सफलता प्राप्त की है। मगर, न ही कांग्रेस और न ही दीगर दलों के नेताओं को यह नजर आ रहा है। वे आज भी इस तथ्य पर गौर न करते हुए ईवीएम को कोसने में मशगूल हैं।

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अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए क्या मोदी संविधानेतर तरीके भी अपना सकते हैं?

तमाम कोशिशों के बावजूद अगर एनडीए बहुमत प्राप्त कर पाने में विफल साबित हो जाता है तो क्या मोदी लोकतांत्रिक तरीकों से सत्ता-हस्तांतरण के लिए राजी हो जाएँगे?

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