गांव और शहर के बीच झूलती जिंदगी में देखिए बेनकाब वर्ग विभाजन का अक्स

लॉकडाउन के दौरान शहरों में रोजगार पूरी तरह से ठप हो जाने के बाद मजदूरों को अपना गांव दिखायी पड़ा था जहां से वे शहर की तरफ पलायन करके आये थे ताकि वे अपने और अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम कर सकें. अब, जब हम लॉकडाउन से अनलॉक की तरफ बढ़ रहे हैं तो एक बार फिर वे रोजगार की तलाश में उसी शहर की तरफ निकलने लगे हैं.

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दक्षिणावर्त: उत्साह के टूटने और शीराजे के बिखरने का यह काल

नये बिहार में आपका स्वागत है। बिहार ने कोरोना पर विजय पा ली है। हरेक पंचायत में प्रवासियों की रेलमपेल, धान की बुआई और हुल्लड़ के बीच बिहार के युवा गया से लेकर दरभंगा तक हवाई उड़ान भर रहे हैं- शिक्षक बनने के लिए।

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दक्षिणावर्त: हमारे यहां अमेरिका या ब्रिटेन से भी बड़े बलवे घात लगाए बैठे हैं…

हमारे प्रधानसेवक ने कहा, ‘आपदा में अवसर है’। मैंने सुना, ‘आपदा ही अवसर है’। अमेरिकी लोगों ने सुना, ‘आपदा का अवसर है’। फिर, यहां से वहां तक सब जुट गए …

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हमारी फरियादों को सुनने वाला अब कोई नहीं है: अरुंधति रॉय

ये एक छोटा सा वीडियो है, दिल्ली से। यहां हम सभी, जो जमा हुए हैं, वे लोग हैं, जो आपको लगातार सुन रहे हैं। हम लोग यहां कुछ साधारण सी …

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तन मन जन: COVID-19 ‘वैश्वीकरण का रोग’ है जहां चिकित्सक की भूमिका पुलिस को सौंप दी गयी है!

भारत में जन स्वास्थ्य कभी मुख्य मुद्दा रहा ही नहीं! न तो सरकार और राजनीतिक पार्टियों के लिए और न ही जनता के लिए। “विकास” का नाम लेकर देश में …

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जान ख़तरे में है इंसान की, फिर क्या जल्दी है आस्था के प्रदर्शन की?

क्या हम कभी इसके पीछे की तर्कप्रणाली को जान सकेंगे कि जब मुल्क में कोविड-19 संक्रमण के महज 500 मामले थे तो मुल्क के कर्णधारों ने दुनिया में सबसे सख्त …

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सोनिया गांधी के #SpeakUpIndia को कांग्रेस के वरिष्ठों ने कैसे बना दिया रस्म अदायगी अभियान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को अपना नेता कहते तो हैं लेकिन मानते सोनिया गांधी को हैं

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