बिना नतीजे आए ही बहुत कुछ कह गया है उत्तर प्रदेश का चुनाव

भाजपा की उग्र हिंदुत्ववादी सोच ने मुसलमानों को संगठित होने के लिए मजबूर किया है किंतु इसका प्रस्तुतिकरण इस प्रकार से किया जा रहा है कि संगठित मुसलमान भारी मतदान द्वारा सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं और हिन्दू यदि उनके षड्यंत्र को न समझे तो बहुसंख्यक होने के बावजूद मुसलमानों की अधीनता उन्हें स्वीकार करनी होगी।

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भाजपा और संघ की असली समस्या कांग्रेस और ‘परिवार’ नहीं बल्कि देश की जनता है!

‘विश्व गुरु’ बनने जा रहे भारत देश के प्रधानमंत्री को अगर अपना बहुमूल्य तीन घंटे का समय सिर्फ़ एक निरीह विपक्षी दल के इतिहास की काल-गणना के लिए समर्पित करना पड़े तो मान लिया जाना चाहिए कि समस्या कुछ ज़्यादा ही बड़ी है।

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इतिहास में किस रूप में याद की जाएंगी लता मंगेशकर?

दुनिया में आज तक किसी विचारहीन कलाकार ने इतिहास में स्थान नहीं बनाया है, चाहे वह अपने जीवन-काल में कितना भी महान क्यों न लगता रहा हो। लता के गीत भले ही कुछ अरसे तक जीवित रहें, लेकिन एक कलाकार के रूप में लता इतिहास के कूड़ेदान में वैसे ही जाएंगी, जैसे कोई टूटा हुआ सितार जाता है, चाहे उसने अपने अच्छे दिनों में कितने भी सुंदर राग क्यों न निकाले हों।

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UP: चुनाव में ऊंट की करवट भांप कर उससे पहले ही उधर लेट जाने वाले

मौर्य ने अपने इस्तीफे के जो कारण बताए हैं, वे तो सिर्फ बताने के लिए हैं लेकिन उनके इस्तीफे का असली संदेश यह है कि उ.प्र. के चुनाव में ऊँट दूसरी करवट बैठनेवाला है। जिस करवट ऊँट बैठेगा, उसी करवट हम पहले से लेटने लगेंगे। वरना क्या वजह है कि मौर्य-जैसे कई नेता बार-बार अपनी पार्टियां बदलने लगते हैं? ऐसे नेता ही आज की राजनीति को उसके पूर्ण नग्न रुप में उपस्थित कर देते हैं।

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सरकारी हिंदुत्व बनाम हिंदू धर्म: धर्म संसद के संदर्भ में कुछ विचारणीय प्रश्न

यदि विपक्षी पार्टियां भाजपा के अनुकरण में गढ़े गए हिंदुत्व के किसी संस्करण की मरीचिका के पीछे भागना बंद कर अपने मूलाधार सेकुलरवाद पर अडिग रहतीं तो क्या उनका प्रदर्शन कुछ अलग रहता- इस प्रश्न का उत्तर भी ढूंढा जाना चाहिए।

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रायपुर धर्म-संसद के आयोजकों में शामिल थे कांग्रेस के नेता! ऐसे कैसे लड़ेंगे हिन्दुत्व से राहुल?

चौंकाने वाली बात है मगर सच है कि राहुल गांधी की प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस पार्टी के समानांतर छत्‍तीसगढ़ में भूपेश बघेल की नाक के नीचे एक ‘संघी’ कांग्रेस भी ऑपरेट कर रही है। राजधानी रायपुर में आयोजित हुई धर्म संसद में इस ‘संघी’ कांग्रेस के कई विधायक और नेता न केवल मौजूद थे, बल्कि मुख्य आयोजक थे।

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गोवा: चौपट धंधा, सूने पड़े बीच और ओमिक्रॉन के साये में चुनावी पर्यटकों के सियासी करतब

खूबसूरत समुद्री किनारोंवाला गोवा सभी को लुभाता है लेकिन कोरोना की कसक के बीच खराब आर्थिक हालात से लोग हैरान हैं। धंधा चौपट है, फिर भी चुनाव तो होना ही है, सो दुष्कर हालात में भी गोवा अपनी राजनीति के नये प्रतिमान गढ़ने की तरफ बढ़ रहा है।

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बात बोलेगी: खतरे में पड़ा देश, खतरों के खिलाड़ी और बचे हुए हम!

देश निरंतर खतरे की तरफ तेज़ कदमों से बढ़ा जा रहा है। लगता है देश जो है वो सुसाइडल यानी आत्महंता हो चुका है जो किसी भी तरह मरने पर आमादा है। जैसे कुएं के पाट पर खड़ा हो- अब कूदा कि तब कूदा। और तैरना उसे आता नहीं है, जिसका ज्ञान उसे छोड़कर बाकी सबको है। इसलिए सब उसे कूदने से रोक रहे हैं। डर लग रहा है देखकर कि कहीं कुछ लापरवाही न हो जाए। हाथों से छिटककर देश कहीं सचमुच कुएं में समाधि न लगा ले।

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यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टियों की सीटवार चुनावी रणनीति और सपा-बसपा की दिक्कत

सपा-बसपा के पास एक ही काट है- अतिपिछड़ों को व्यापक प्रतिनिधित्व और सीटें देते हुए उनके मान-सम्मान व सुरक्षा हेतु एससी/एसटी एक्ट जैसे प्रावधान और लाभकारी योजनाओं में स्पेशल कम्पोनेंट जैसी विशेष योजनाएं संचालित करने का ऐलान।

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UP: सरकार से ब्राह्मण वोटर की नाराजगी का मुद्दा क्या फर्जी है?

ब्राह्मण वोटर सामान्‍यत: मंदिर निर्माण, हिंदुत्व, अनुच्‍छेद 370 के जम्‍मू-कश्‍मीर से हटाए जाने, तीन तलाक, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर काफी उत्साहित नजर आते हैं। कई ऐसे ब्राहमण हैं जो बीजेपी सरकार की बहुत सी नीतियों, महंगाई, बेरोजगारी से काफी नाराज भी हैं, लेकिन वोट के सवाल पर मुद्दा बदल जाता है।

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