परिवार नियोजन क्या अकेले महिलाओं का ही दायित्व है?

भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के मुताबिक, 40 प्रतिशत भारतीय पुरुषों का मानना है कि गर्भ निरोध का दायित्व महिलाओं पर है और पुरुषों को इसके बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. शायद यही कारण है कि भारत में महिला नसबंदी सबसे ज्यादा लोकप्रिय गर्भनिरोधक विधि है और इसका उपयोग करने वालों की संख्या भी सबसे अधिक – 36 प्रतिशत – है जबकि पुरुष नसबंदी मात्र 0.3 प्रतिशत है.

Read More

पंचतत्व: ऑस्ट्रेलिया में ऊंटों का कत्ले आम और कुदरती न्याय का सबक

ऑस्ट्रेलिया ने ऊंटों के सामूहिक क़त्ल के पीछे अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करने को भी वजह बताया था. पर क्या यह वाक़ई तार्किक है या बहाना है? यह धरती महज इंसानों की है? या दूसरे जीवों का भी इस पर हक़ है?

Read More

स्कूली शिक्षा के विशेष संदर्भ में नयी शिक्षा नीति की एक अनुभवजन्य समीक्षा

स्कूली शिक्षा के तमाम प्रावधानों में जो मुझे सबसे बेहतर लगता है वह यह कि अब प्री-स्कूलों के विकास पर जोर दिया जाने वाला है। यह एक बेहतरीन कदम है क्योंकि हमारे सरकारी स्कूलों में आने वाले अधिकांश बच्चे ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं जिनके घर पर या आस-पास के माहौल में पढ़ने का उचित वातावरण नहीं मिल पाता है।

Read More

स्त्री-पात्रों के चित्रण में प्रेमचंद खुद को केवल समस्या तक सीमित नहीं रखते, समाधान सुझाते हैं

प्रेमचंद ने यहाँ भी सुधार की बात की हैं। किस तरह वेश्या को सही मार्ग पर लाया जाए, इस समस्या के समाधान हेतु उन्होंने वेश्याओं के लिए एक आश्रम बनाने की बात कही हैं। इस समाधान को कई आलोचकों ने आदर्शवादी करार दिया है।

Read More

प्रेमचंद का सूरदास आज भी ज़मीन हड़पे जाने का विरोध कर रहा है और गोली खा रहा है!

भारतीय विश्वविद्यालयों में समाजशास्त्र एक विषय के रूप में बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में पढ़ाया जाना शुरू हुआ और इतिहास उससे पहले से पढ़ाया जा रहा था, लेकिन आधुनिक भारतीय समाज के बनने की प्रक्रिया को उसकी पूरी जटिलता के साथ दर्ज करने वाले प्रेमचंद पहले आधुनिक साहित्यकार कहे जा सकते हैं।

Read More

नीति से अधिक नीयत पर निर्भर है भारतीय शिक्षा का भविष्य

लोकतंत्र और हमारी समावेशी संस्कृति से जुड़ी मूल अवधारणाओं के माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम से विलोपन की कोशिश शायद इसलिए की जा रही है कि आने वाली पीढ़ी यह जान भी न पाए कि उससे क्या छीन लिया गया है।

Read More

कांग्रेस के पास दूसरा विकल्प इतिहास बन जाने का है, लेकिन पहले विकल्प को आज़माए बगैर नहीं

सेवा दल को कांग्रेस पार्टी का शक्ति केंद्र बनाया जा सकता है जिसके संघ परिवार की तरह सैकड़ों आनुवंशिक संगठन हों जिसमें एक कांग्रेस भी शामिल हो. ऐसा तभी हो सकता है जब गाँधी परिवार सेवा दल का पावर सेंटर बने. इसके लिए लंबी सोच, सही नजरिये और ठोस रणनीति की जरूरत होगी.

Read More

COVID-19 का नया हॉटस्पॉट बन रहा है UP, भयावह स्थिति में पहुँच चुकी है बेरोज़गारी

प्रदेश में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकार का जोर आंकड़ेबाजी प्रस्तुत करने और प्रोपैगैंडा पर है। चाहे स्वास्थ्य सेवाओं का मसला हो, बेकारी अथवा कानून व्यवस्था का सवाल हो, अगर इन सवालों पर प्रभावी ढंग निपटा नहीं गया तो चीजें नियंत्रण के बाहर जा सकती हैं।

Read More

जनता के फैसले का अपहरण संवैधानिक लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है

सत्ता का खून बीजेपी के मुंह को लग चुका है। मध्यप्रदेश के बाद उसका अगला निशाना राजस्थान बना लेकिन यहाँ अशोक गहलोत ज़रा जीवट वाले निकले। उन्होंने बीजेपी के हथियार से ही बीजेपी को पटखनी दे दी।

Read More

ऑक्सीटॉसिन की अतृप्त प्यास और उफनते राष्ट्रवाद का वैश्विक जज़्बात

दुनिया भर के नेता अपनी जनता को विश्वास दिलाने में लगे हैं कि वे दुश्मन की सारी जमीन जीत लाएंगे और अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देंगे। जनता जानती है कि जब युद्ध होते हैं, तो शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, सड़क, पानी के लिए जो पैसा लगना चाहिए था वह युद्ध में खर्च होता है, मगर जनता दिल के हाथों मजबूर है।

Read More