एक हम्माम में तब्दील हुई है दुनिया, सब ही नंगे हैं किसे देख के शरमाऊँ मैं!

बड़े नेता दिल्ली स्तर पर पार्टी बदलते हैं, उनसे छोटे नेता राज्य स्तर पर और सबसे निचले स्तर के जिला स्तर पर दल बदल करते हैं. मीडिया का सारा ध्यान केवल राष्ट्रीय स्तर पर रहता है. उधर जमीन पर बदलाव पर ध्यान ही नहीं जाता किसी का.

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दलित राजनीति की त्रासदी को इसका स्वर्णिम युग कहना मसखरापन है!

जिन दलित पार्टियों ने जाति की राजनीति को अपनाया था वे भाजपा के हाथों बुरी तरह से परास्त हो चुकी हैं क्योंकि उनकी जाति की राजनीति ने भाजपा फासीवादी हिन्दुत्व की राजनीति को ही मजबूत करने का काम किया है।

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#जनरल_डायर_नीतीश_कुमार और #मुंगेर_नरसंहार के साये में पहला मतदान

भाजपा के लिए टर्फ केवल मुंगेर का ही कठिन नहीं है, आज जिन 16 जिलों में चुनाव हो रहे हैं, वे आरजेडी का मजबूत दुर्ग हैं और 2015 में लालटेन और तीर ने मिलकर कमल को बर्बाद कर दिया था।

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उनके पेट में दांत है, लेकिन वे खुद चक्रव्यूह के भीतर हैं!

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, जो कि पिछले 15 सालों से बिहार के सत्ता पर काबिज है और जिसका नेतृत्व सुशासन बाबू फेम “नीतीश कुमार” सफलतापूर्वक करते आए हैं, इस बार अपने भीतर ही एक चक्रव्यूह रचे हुए है। इसका मूल मक़सद नीतीश जी को निपटा देना है।

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ये जनसैलाब कुछ कहता है…

इस बार मीडिया संदेहास्पद स्थिति में है। भाजपा नेताओं की चुनावी रैलियों को तो मीडिया तवज्जो दे रहा है मगर तेजस्वी की रैलियों को ऐसे दरकिनार कर दे रहा है जैसे उसे कवर नहीं करना चाहता।

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बेमौसम कुछ भी अच्छा नहीं होता, बारिश हो या खैरात!

अब यदि भविष्य में बरसात से पहले कहीं चुनाव का मौसम हो, तो संकल्प-पत्रों में मुफ़्त छाता, नाव और लाइफ जैकेट बांटने की घोषणाओं का सिलसिला शुरू हो सकता है. वैसे भी हमारे प्रधानजी को तो यह तक पता होता है कि कौन-कौन रेनकोट पहनकर नहाता है देश में. उनके लिए रेनकोट को भी मुफ्त वाली सूची में शामिल किया जा सकता है.

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दलितों को दूसरों के हेलिकॉप्टर से चलने वाले नेताओं से सावधान रहना चाहिए

चंद्रशेखर जब कांशीराम के सत्तावादी मिशन को ही आगे बढ़ाने की बात करता है, तो यदि उसे सत्ता में कुछ हिस्सेदारी मिल भी जाय तब भी सवाल यह बना रहेगा कि क्या इससे दलितों का कोई कल्याण हो पाएगा?

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आपका जोखिम, हमारा संकल्प: उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल के मायने

न्यायालय के आदेश में ‘ए स्पेशलाइज्ड सिक्योरिटी फोर्स’ की बात कही गई थी न कि स्पेशल सिक्योरिटी पुलिस फोर्स के गठन का निर्देश दिया गया था. वस्तुतः यह न्यायालय की मनमाफिक व्याख्या करने के समान है जिसमें ऐसा कानून बनाकर संवैधानिक सिद्धांतों को परित्याग कर नागरिकों के न्यायिक उपचार के अधिकार को समाप्त करने का कुत्सित प्रयास किया गया है.

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मुसलमानों पर मोहन भागवत के बयान और दशहरे पर देवबंद दौरे की संभावना में छुपे सूत्र

से दारूल उलूम देवबन्द के सदर मुदर्रिस एवं जमीअत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी अचानक संघ के दिल्ली स्थित कार्यालय पर पहुँच गए थे इसी तरह देवबन्द भी एक रोज़ सुर्ख़ियों में आए कि अचानक संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुँचे देवबन्द और की मुलाक़ात देवबन्द दारूल उलूम देवबन्द के मोहतमिम सहित अन्य इस्लामिक विद्वानों से। आज के हिसाब से संघ प्रमुख मोहन भागवत का देवबन्द जाना बहुत बड़ी बात होगी।

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बरसों तक भीख मांग कर खाने वाला एक फ़कीर हंगर इंडेक्स को कैसे स्वीकार करे!

ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार 27.2 स्कोर के साथ भारत में भूख के मामले में स्थिति ‘गंभीर’ है. रिपोर्ट के अनुसार भारत की करीब 14 फीसदी जनसंख्या कुपोषण का शिकार है.

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