वार्ताकार किसानों ने लंच में सरकारी खाने से किया इनकार, देश भर में कॉर्पोरेट-विरोधी हुंकार


किसानों के समर्थन में आज पूरे देश में ‘कॉर्पोरेट विरोध दिवस’ मनाया जा रहा है. हर राज्य से विरोध प्रदर्शन की ख़बरें आरही हैं. इसी बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की कृषि कानूनों पर किसान नेताओं के साथ बैठक शुरू हो चुकी है.

बैठक में लंच के दौरान किसानों पने सरकारी खाना खाने से मना कर दिया। वे अपने साथ अपना खाना बांध कर ले गये थे। उन्‍होंने अपना लाया खाना ही खाया।

आज की बैठक में जाने से पहले कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार किसानों से लगातार चर्चा कर रही है और मुझे आशा है कि चर्चा के सकारात्मक परिणाम निकलेंगे. चौथे चरण की चर्चा में कोई न कोई पक्ष जरूर निकलेगा.

वहीं, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, हमें उम्मीद है कि आज बात बनेगी. सभी काम होंगे, आज कानून वापसी होगी और किसान भी अपने घर जाएगा. अभी चलकर सरकार से बात करेंगे.

वहीं, किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी, पंजाब के संयुक्त सचिव सु​खविंदर सिंह ने कहा- “पूरे देश के 507 संगठन हैं, मोदी जी सबको क्यों नहीं बुलाते? केंद्र सरकार पूरे देश के संगठनों को बांट रही है, उनमें फूट डालने की कोशिश कर रही है. ये लड़ाई पूरे देश के किसानों की है. हम बैठक में नहीं जाएंगे.”

इधर बड़ी खबर यह है कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण लौटा दिया है.

इससे पहले केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर सरकार बहुत स्पष्ट है, MSP था, है और रहेगा. इसमें किसी को कोई शंका नहीं होनी चाहिए. सरकार प्रतिबद्ध है, लिखकर देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि एक-एक बिन्दु पर चर्चा होगी. हम बात करने के लिए हमेशा तैयार हैं, चर्चा करने के बाद ही कोई नतीजा निकलेगा.

उधर इस मसले पर खुद केन्द्रीय गृहमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री की मुलाकात हुई. मुलाकात के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा- मैंने गृह मंत्री को पंजाब में अपनी स्थिति दोहराई है और कहा है कि ज़ल्दी इसका कोई हल निकलना चाहिए और पंजाब के किसानों को भी अपील करता हूं कि हम ज़ल्दी इसका हल निकालें क्योंकि इसका पंजाब की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर हो रहा है.

सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा) पर किसान प्रदर्शनकारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर भी किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. राजस्थान में कार्यकर्ताओं ने किसान आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करते हुए दिल्ली-जयपुर हाईवे को ब्लॉक किया है.सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद जा बैठे हैं.

चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा, ‘’हम लोग किसानों के साथ हैं और अगर सरकार इनके साथ तानाशाही करेगी तो हम सड़कों पर उतरेंगे. मैं चाहता हूं कि किसानों की मांग पर अमल हो. सरकार का असली उद्देश्य किसानों की जमीन छीनना और पूंजीपतियों को देना है.’’

महाराष्ट्र कांग्रेस ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया है.

गुजरात से आया किसानों का एक समूह कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम टीवी पर देख रहे थे कि ये आंदोलन हरियाणा और पंजाब का है, लेकिन ये आंदोलन पूरे हिन्दुस्तान के किसानों के लिए चल रहा है. हम इस आंदोलन का समर्थन करने आए हैं.”

बीजेपी समर्थक और नेता लगातार किसानों के आन्दोलन को लेकर विवादित बयान दिए जा रहे हैं. हरियाणा के कृषि मंत्री जे.पी. दलाल ने दो कदम आगे जाते हुए कहा- “किसान का नाम आगे करके बहुत सारे लोग हैं, विदेशी ताकतें हैं, चीन है, पाकिस्तान है, भारत के दुश्मन देश हैं, वो सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं.”

दलाल का यह बयान दिल्ली में किसान नेताओं के साथ केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बैठक से पहले आया है.

खुद अमित शाह ने अभी तक किसानों के विरोध प्रदर्शन पर इस तरह का कोई बयान देने से बचते रहे हैं. ऐसे में आज की बातचीत का भी क्या परिणाम आएगा शाम तक ही पता चलेगा.

गौरतलब है कि बीजेपी के तमाम समर्थक और गोदी मीडिया ने किसानों के इस ऐतिहासिक आन्दोलन को कभी खालिस्तान से जोड़ कर बदनाम करने की कोशिश की तो कभी इसे विपक्षी दलों और कांग्रेस की चाल बताया. किसानों ने सभी को जवाब दे दिया. गोदी मीडिया का बॉयकॉट हो गया और बाकी बोलते-बोलते थक गये हैं.

आज जब चौथे दौर की वार्ता शुरू हो चुकी है ठीक इसी वक्त किसानों का आन्दोलन अपने उफान पर है. आज देश भर में कॉर्पोरेट विरोध दिवस मनाया जा रहा है.

आज भोपाल गैस त्रासदी की 36वीं बरसी भी है और मध्य प्रदेश के 52 जिलों में किसान और जनवादी संगठन धरने दे रहे हैं और अंबानी-अडानी के साथ पीएम मोदी के पुतले जला रहे हैं. यही प्रदर्शन महाराष्ट्र, बिहार, झारखण्ड और तेलंगाना में भी होने की खबर है.

इस बीच कई संगठनों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर नये कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग की है.


About नित्यानंद गायेन

View all posts by नित्यानंद गायेन →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *